गुडग़ांव, पूरा विश्व कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ
रहा है। इस संक्रामक बीमारी से बचने के लिए सभी अपने स्तर पर प्रयास कर
रहे हैं। समूचे भारत में भी पिछले करीब 3 सप्ताह से लॉकडाउन की घोषणा की
हुई है। कोरोना से बचाव के लिए सभी अपने घरों में हैं। सभी प्रदेश
सरकारें लॉकडाउन का पालन करा रही हैं। इस संक्रामक बीमारी से हरियाणा भी
अछूता नहीं रहा है। 4 जिलों को छोडक़र प्रदेश के सभी अन्य जिले कोरोना की
चपेट में हैं। गुडग़ांव में भी कोरोना के 32 पीडि़त मिल चुके हैं। हालांकि
उनमें से 12 पीडि़त ठीक होकर घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। पड़ौसी
प्रदेश राजस्थान में भी कोरोना का व्यापक प्रभाव देखने को मिला, लेकिन
राजस्थान के एक जिले भीलवाड़ा के जिला प्रशासन ने कोरोना से बचने के
हरसंभव प्रयास भी किए, जिसमें वह सफल भी रहा। भीलवाड़ा में कोरोना
पॉजिटिव पीडि़तों की संख्या 27 तक पहुंच गई थी और 2 मौत भी हो गई थी। अब
सभी शेष पीडि़त इलाज के बाद ठीक हो गए हैं। भीलवाड़ा प्रशासन ने जिस
प्रकार कोरोना पर नियंत्रण पाया है, उसके बाद से देश में ही नहीं, अपितु
विश्व में भी भीलवाड़ा मॉडल की जानकारी व मांग बढ़ती दिखाई दे रही है।
बुद्धिजीवियों डा. वेदप्रकाश वैदिक, पंकज वर्मा, डा. अंजू रावत नेगी,
कुलभूषण भारद्वाज आदि का कहना है कि राजस्थान के भीलवाड़ा जिला प्रशासन
ने बेहतर प्रबंधन और दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना का सामना करते हुए थोड़े
से ही समय में भीलवाड़ा जिला को पूरी तरह से कोरोना से मुक्त कर दिया है।
उनका कहना है कि देश के अन्य प्रदेशों में भी भीलवाड़ा मॉडल को अपनाना
चाहिए। हालांकि दिल्ली और उत्तरप्रदेश सरकार ने भीलवाड़ा मॉडल को कोरोना
का सामना करने के लिए अपनाया भी है। राजस्थान सरकार ने भी सभी प्रदेशों
के मुख्यमंत्रियों और जिलाधीशों को भीलवाड़ा मॉडल से अवगत भी कराया है।
उनका कहना है कि प्रदेश सरकार को भी भीलवाड़ा मॉडल को अपनाना चाहिए।
हालांकि प्रदेश सरकार कोरोना को हराने के लिए सतत प्रयासरत है और उनके
प्रयासों के अच्छे परिणाम भी आ रहे हैं। फिर भी यदि भीलवाड़ा मॉडल की
अच्छाईयों को अपनाया जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है। विश्व के अन्य देश
भी इस मॉडल की जानकारी प्राप्त करने में जुटे हैं, ताकि कोरोना वायरस के
प्रकोप से वे अपने देशवासियों के जीवन की रक्षा कर सकें।
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