गुडग़ांव, यदि लॉकडाउन के नाम पर घर में भी संक्रमण से
बचने के उपाय नहीं किए गए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस घोषित
लॉकडाउन का क्या लाभ है। लॉकडाउन का केवल अर्थ नहीं, अपितु सभी को इसके
उद्देश्य ही समझने होंगे। तभी इस वैश्विक महामारी से छुटकारा पाया जा
सकता है। यह कहना है मंथन आई हैल्थकेयर फाउण्डेशन के संरक्षक
गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज का। उनका कहना है कि लॉकडाउन
के दौरान घरों में रहते हुए भी परिजनों को मन, वाणी और शरीर से
विवेकपूर्ण संयम से काम लेना होगा। संयम ही इस समस्या का समाधान है।
कोरोना वायरस के प्रकोप से देशवासियों को बचाने के लिए लॉकडाउन की घोषणा
प्रधानमंत्री ने आग्रहपूर्वक की थी। उनका उद्देश्य था कि किसी प्रकार से
देश के नागरिकों को इस महामारी से बचाया जाए, ताकि वे स्वस्थ बने रहें।
लोगों ने प्रधानमंत्री के इस आग्रह को माना भी और घरों में ही रहे। कुछ
ने प्रशासन के भय का खौफ खाकर इस आग्रह को माना। महाराज जी का कहना है कि
सभी को संयम से काम लेना होगा। लॉकडाउन से कोरोना के फैलाव को रोकना ही
है, किंतु इस लॉकडाउन होने से अन्य प्रकार के संकट भी पैदा होने के अवसर
बन सकते हैं उन्हें भी समझना होगा। उनका कहना है कि अभी तो सरकार हमें
राशन की दुकान अथवा अन्य माध्यमों से अनाज उपलब्ध करा देगी, लेकिन आने
वाले समय में क्या होगा। इसलिए हमें विवेक और संयम से काम लेना चाहिए।
यदि यही स्थिति कुछ और समय बनी रही तो किसान खेत में कैसे जाएगा। खेतों
में कहां से फसल होगी। उनका कहना है कि लॉकडाउन का अर्थ अपने-अपने घरों
में टीवी स्क्रीन से चिपक जाना नहीं, अपितु संयम और विवेक के साथ जीवन
जीने का सदाचारपूर्वक नियम भी बनाना होगा और प्रशासन को सहयोग भी करना
होगा। तभी इस महामारी से बचा जा सकता है।
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