गुडग़ांव, सिद्ध योग मठ के चुनरी बाला माता जी के नाम से
विख्यात 92 वर्षीय बाबा प्रह्लाद जानी ने शक्ति पीठ गुजरात स्थित गब्बर
की पहाड़ी के निकट प्राचीनतम शेषनाग रुपी गुफा में अपना देह त्याग दिया
है। गुडग़ोंव स्थित प्राचीन शिव मंदिर व सिद्ध योग मठ के प्रभारी बालयोगी
अलखनाथ ओघड़ का कहना है कि बाबा ने 7 वर्ष की आयु से ही अपना गृह त्याग
कर दुर्गम स्थानों पर मानवता के लिए जप-तप, साधना करते हुए बिना अन्न-जल
ग्रहण किए 92 वर्षों तक अपनी दिव्य देह के साथ रहे। उनका कहना है कि बाबा
द्वारा बिना अन्न-जल ग्रहण किए इतने वर्षों तक जीवित रहना एक चमत्कार ही
था। हालांकि कई प्रमुख चिकित्सकों ने उनकी कई बार स्वास्थ्य जांच भी की
थी कि बिना जल-अन्न के कोई कैसे रह सकता है। बाबा सदैव चिकित्सकीय जांच
में स्वस्थ ही दिखाई दिए। बताया जाता है कि वह विश्व में एकमात्र
पवनाहारी व पूर्ण रुप से स्वस्थ रहे हैं। उनका कहना है कि 27 मई को उनकी
दिव्य देह को विधिपूर्वक गब्बर की पहाड़ी स्थित आश्रम में समाधि दी
जाएगी। लॉकडाउन के चलते उनके अनुयायी उनके अंतिम दर्शन नहीं कर सकेंगे
इसका उन्हें सदैव अफसोस रहेगा।
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