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12 को होगा जगन्नाथ पुरी रथयात्रा का आयोजन बिना श्रद्धालुओं के

गुडग़ांव, महाप्रभू जगन्नाथ भगवान विष्णु के दशावतारों
में माने जाते हैं। भगवान जगन्नाथ की कथा में कोरोना जैसी महामारियों के
प्रति जागरुकता भी दिखाई देती है। कोरोना महामारी से संक्रमित रोगियों को
जहां उपचार कराने के लिए 14 दिनों तक एकांतवास (क्वारंटाईन) पड़ता है।
इसी प्रकार महाप्रभू जगन्नाथ बुखार से पीडि़त होने के कारण 14 दिन
एकांतवास रखकर 15वें दिन सभी के सामने प्रकट होते हैं। यानि कि 15वें दिन
एकांतवास के बाद महाप्रभू अपने श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं और ये
दर्शन रथयात्रा के रुप में होते हैं। प्रतिवर्ष उडीसा के पुरी स्थित
जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी 12 जुलाई
को रथयात्रा का आयोजन प्रस्तावित है लेकिन इस साल भी कोरोना महामारी के
कारण रथयात्रा का आयोजन सार्वजनिक रुप से नहीं हो पाएगा। कोरोना को लेकर
जारी दिशा-निर्देश के अनुरुप ही रथयात्रा का आयोजन होगा। महाप्रभू से
जुड़ी कहानी में कोरोना महामारी का रुप भी देखने को मिल रहा है। देश के
कौने-कौने से श्रद्धालु रथयात्रा में शामिल होते रहे हैं, लेकिन कोरोना
के कारण अब यह संभव नहीं हो पाया है। बताया जाता है कि महाप्रभू जगन्नाथ
ने जैसे ही पूर्णिमा को ठंडे पानी से स्नान किया तो वे बीमार हो गए। तब
उन्हें 14 दिनों के लिए एकांतवास में रहना पड़ा था। प्रतिवर्ष इस प्रकार
की कहानी दोहराई जाती है। कोरोना काल में तो यह कहानी और भी प्रसांगिक हो
जाती है। इस बार भी रथयात्रा से पूर्व महाप्रभू बीमार चल रहे हैं।
क्योंकि उन्हें 108 घड़ों के जल से स्नान कराया गया है। जगन्नाथ जी को 25
स्वर्ण कलश शीतल जल से, उनके बड़े भाई वलभद्र को 33 कलश से, बहन सुभद्रा
को 22 कलश के पानी से और सुदर्शन को 18 स्वर्ण कलश पानी से स्नान कराया
गया है। इस कारण सभी बीमार हैं। ऐसा माना जाता है कि पुरी के जगन्नाथपुरी
मंदिर में वे सभी क्वारंटाईन यानि एकांतवास में हैं और उनका आयुर्वेद
उपचार भी किया जा रहा है। क्वारंटाईन का समय पूरा हो जाने के बाद वे सभी
स्वस्थ हो जाएंगे तो वे 15वें दिन यानि कि आगामी 12 जुलाई को रथ पर सवार
होकर अपने श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। पुरी की जगन्नाथ यात्रा भारत में
ही नहीं, अपितु विश्व में भी प्रसिद्ध है। कोरोना महामारी से पूर्व
जगन्नाथ यात्रा बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती रही है, लेकिन कोरोना के
कारण पिछले 2 वर्षों से श्रद्धालुओं को इस यात्रा में शामिल होने का
सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पा रहा है। कोरोना के कारण गत वर्ष से ही रथ
यात्रा का स्वरुप बदल गया है। बिना श्रद्धालुओं के ही रथयात्रा निकाली जा
रही है। हालांकि उडीसा सरकार ने टीवी व अन्य माध्यमों से महाप्रभू के
दर्शन की व्यवस्था की हुई बताई जाती है।

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