गुडग़ांव, प्रदेश सरकार के प्रति श्रमिक संगठनों की
प्रतिक्रिया तेज होनी शुरु हो गई हैं। श्रमिक संगठन प्रदेश सरकार पर आरोप
लगाते रहे हैं कि कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाने के लिए पिछले 40 दिनों
से लॉकडाउन चल रहा है। इस दौरान जहां सभी उद्योग व कारेाबार बंद हैं,
वहीं घरों में रह रहे श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई
हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने इन जरुरतमंद मजदूरों के लिए भोजन व राशन की
व्यवस्था अवश्य की, लेकिन वह पर्याप्त नहीं रही। श्रमिक संगठन सीटू के
जिलाध्यक्ष कामरेड सतबीर सिंह का कहना है कि सीटू की राज्याध्यक्ष
सुरेखा, राज्य महासचिव जयभागवान व विनोद कुमार ने प्रदेश सरकार से मांग
की है कि मजदूरों को भूख से बचाया जाए व उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाए।
सरकार जरुरतमंद परिवारों को भोजन की बजाय सूखा राशन व ईंधन उपलबध कराए और
ऐसे परिवारों को 7 हजार 500 रुपए नगद राशि प्रत्येक माह अगले 6 माह तक
उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे परिवार का पालन-पोषण कर सकें। उनका कहना है कि
राज्य सरकार ने काम के घंटों में जो वृद्धि की है इसे तुरंत वापिस लिया
जाए, प्रवासी मजदूर अपने घर लौटना चाहते हैं उन्हें उनके घरों तक
पहुंचाने का प्रबंध किया जाए, मनरेगा में लोगों को काम मिलना चाहिए तथा
इस योजना को शहरों में भी लागू किया जाना चाहिए, ताकि शहरी क्षेत्र में
रह रहे मजदूरों को भी काम मिल सके। आशा वर्कर्स, मिड डे मील, आंगनवाड़ी
कर्मी व सफाईकर्मियों के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। उनसे जोखिम भरे काम
कराए जा रहे हैं, इसलिए उन्हें जोखिम भत्ता भी दिया जाना चाहिए। इस समय
सरकार का पूरा ध्यान जनता को भुखमरी से बचाने पर केंद्रित करना चाहिए
अन्यथा आने वाले दिनों में हालात बद से बदतर हो जाएंगे और उन्हें संभालना
मुश्किल हो जाएगा।
Comment here