गुडग़ांव, कोरेाना वायरस से निजात दिलाने के लिए देश के
प्रदेशों में काफी दिनों तक लॉकडाउन रहा, जिसमें सभी सेवाएं बाधित कर दी
गई थी, ताकि कोरोना के प्रकोप से लोगों को बचाया जा सके। सरकार ने कुछ
सुविधाओं के साथ अनलॉक-1 लगाया और जुलाई माह से अनलॉक-2 भी शुरु हो गया,
जिसमें अधिकांश सेवाओं को खोलने की अनुमति दे दी गई थी। इस दौरान ऑटो
चालकों ने भी अपने ऑटो जलाने शुरु कर दिए थे। सीएनजी से चलने वाले ऑटो व
शेयरिंग ऑटो के लिए जिला प्रशासन ने दिशा-निर्देश भी जारी किए थे कि ऑटो
में सामाजिक दूरी का पालन कराया जाए और ऑटो में सफर करने वाले यात्रियों
के लिए फेस मास्क लगाना भी अनिवार्य किया गया था। प्रतिदिन कमाई करने
वाले ऑटो चालकों को 2 वक्त की रोटी जुटा पाने में भी बड़ी समस्या आ रही
है। ये चालक पूरे दिन सवारियों की तलाश में शहर में इधर-उधर भटकते दिखाई
देते हैं। कोरेाना के चलते इन ऑटो में सफर करने वालों की संख्या में पहले
की अपेक्षा काफी कमी आई है। सरकार ने शहर बस सेवा भी शुरु कर दी है। इसका
असर भी इन ऑटो चालकों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। मेट्रो सेवाएं शुरु न
होने के कारण भी इन ऑटो चालकों को सवारियां नहीं मिल पा रही हैं। ऑटो
चालक राम सिंह का कहना है कि कोरोना से पूर्व वे आधे दिन में ही 400-500
रुपए कमा लेते थे, लेकिन अब कोरोना के दौरान पूरे दिन में 200 रुपए कमाना
भी बड़ा मुश्किल हो गया है। ऑनलाइन बुकिंग भी बहुत कम मिल रही है, जोकि
पहले दिन में 4-5 मिल जाती थी। अधिकांश ऑटो चालक प्रवासी ही हैं। इनमें
से कुछ तो अपने गृह प्रदेश जा चुके हैं, लेकिन जो बचें हैं उनको भी बड़ी
समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बिहार मूल के ऑटो चालक अरुण का कहना है
कि वे पिछले कई वर्षों से गुडग़ांव में ऑटो चला रहे हैं। कोरोना से पूर्व
उनकी इतनी कमाई हो जाती थी कि घर का खर्चा चलाने के बाद वे अपने गांव एक
अच्छी-खासी रकम भी भेज देते थे, लेकिन अब तो रोजाना का खर्चा चलाना भी
भारी हो रहा है। कोरेाना के कारण महंगाई भी बढ़ी है। 2 वक्त की रोटी
कमाने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। कई बार तो कम किराए पर भी
सवारियों को ले जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे ऑटो का खर्चा भी
निकालना मुश्किल हो गया है। अधिकांश ऑटो चालकों का मानना है कि जब मेट्रो
शुरु हो जाएगी तो उनका कारोबार भी कुछ चल निकलेगा।
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