गुडग़ांव, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने उद्यमियों की
चिंता बढ़ाकर रख दी है। जहां वे मजदूरों की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष
कर रहे हैं, वहीं सवो्र्रच्च न्यायालय के नए आदेश से परेशान हो गए हैं।
गत दिवस सर्वोच्च न्यायालय ने 15 दिनों के भीतर दूसरे प्रदेशों के
श्रमिकों को उनके घर भेजने का आदेश सरकार को दिया है। गुडग़ांव के विभिन्न
औद्योगिक क्षेत्रों स्थित प्रतिष्ठानों में अधिकांश श्रमिक दूसरे
प्रदेशों के ही हैं। उद्यमियों का मानना है कि पहले ही काफी श्रमिक अपने
गृह प्रदेश दौड़ चुके हैं। ऐसे में जो कुछ श्रमिक बचे हैं यदि वे भी
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार अपने गृह प्रदेश जाने लगेंगे तो
उद्यमियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। हरियाणा इंडस्ट्रियल
एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष केके कपूर व उद्योग विहार एसोसिएशन के
अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि गुडग़ांव के विभिन्न औद्योगिक
क्षेत्रों स्थित प्रतिष्ठानों में लॉकडाउन के बाद उत्पादन का पहिया
धीरे-धीरे घूमना शुरु हो गया था और उसने रफ्तार भी पकडऩी शुरु कर दी थी।
हालांकि उद्यमियों के पास अभी भी श्रमिकों की बड़ी कमी है। क्योंकि
अधिकांश श्रमिक अपने गृह प्रदेश जा चुके हैं। यदि कुछ बचे हुए श्रमिक भी
चले गए तो इन प्रतिष्ठानों में उत्पादन पर असर पड़ेगा। उनका कहना है कि
अपने गृह प्रदेश गए श्रमिकों को वापिस लाने के लिए उद्यमी योजना बना रहे
हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से उनकी योजनाएं धरी की धरी रह
जाएंगी और प्रतिष्ठानों में उत्पादन रफ्तार नहीं पकड़ पाएगा। इन
प्रतिष्ठानों में अब काम के ऑर्डर भी आने शुरु हो गए हैं। गुडग़ांव में
कोरोना के मामलों में हो रही वृद्धि से हर कोई परेशान है। अभी भी कुछ
श्रमिक ऐसे बचे हैं जो कोरोना के भय से अपने घरों को लौटना चाह रहे हैं।
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