गुरुग्राम प्रदेश का शिक्षा निदेशालय निजी स्कूलों को
राजकीय स्कूल टक्कर देने बात करता रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत चिंताजनक
है। जहां राजकीय स्कूलों में छात्रों को शिक्षा देने के लिए शिक्षकों की
भारी कमी है, वहीं अन्य सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं। जानकारों का कहना
है कि प्रदेश में 2 हजार से अधिक शिक्षक कम हैं। यही नहीं इस शिक्षा सत्र
में पहली से 8वीं तक के छात्रों को अब तक किताबें भी नहीं मिल पाई हैं तो
एेसे में ये राजकीय स्कूल कैसे निजी स्कूलों को टक्कर दे सकते हैं। उनका
कहना है कि इस सत्र में राजकीय स्कूलों में करीब 1$6 लाख छात्रों की
संख्या में वृद्धि हुई है। छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नई भर्ती
नहीं हो पाई है। उनका ये भी कहना है कि वैसे तो शिक्षकों के विभिन्न
स्कूलों में 34 हजार से अधिक पद खाली हैं, लेकिन करीब 13 हजार अतिथि और
80 तदर्थ अध्यापकों से ही काम चलाया जा रहा है। उनका कहना है कि शैक्षणिक
सत्र पहली अप्रैल से शुरु हो चुका है। शिक्षकों के तबादले भी नहीं हो पाए
हैं। बहुत से एेसे स्कूल हैं जहां छात्र अधिक हैं और वहां पर शिक्षकों की
भारी कमी है। जानकारों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने
के बाद पहली से 8वीं कक्षा तक की सरकारी स्कूलों की किताबें बाजार में
उपलब्ध नहीं हैं। शिक्षा निदेशालय ने छात्रों को 20 से 30 रुपए किताबें
खरीदने के लिए देने की घोषणा की थी, लेकिन यह धनराशि छात्रों के खातों
में आज तक भी नहीं पहुंची है।
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