NCRअध्यात्मअर्थव्यवस्थादेश

सकट चौथ व्रत का आयोजन कल संतान की लंबी आयु की कामना के लिए माताएं करेंगी भगवान गणेश की उपासना

गुरुग्राम, संतान की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएं
सकट चौथ का व्रत रखती आई हैं। सकट चौथ का यह व्रत कल यानि कि रविवार को
महिलाओं द्वारा रखा जाएगा, जिसमें महिलाएं भगवान श्रीगणेश को समर्पित
व्रत रखकर चंद्रमा को अध्र्य देने के बाद ही व्रत का समापन करेंगी। पंडित
मुकेश शर्मा का कहना है कि सकट चौथ का विशेष महत्व होता है। इसे संकटा
चौथ, तिलकुट चौथ या संकष्टी चतुर्थी नामों से भी जाना जाता है। संतान की
लंबी आयु की कामना के लिए माताएं भगवान गणेश की उपासना करती हैं। उनका
कहना है कि चतुर्थी तिथि 31 जनवरी की सायं 8 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ
होकर एक फरवरी को सायं 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इस व्रत में मां पार्वती
की कथा सुनाए जाने का भी विधान है। इस व्रत के पीछे भी एक कथा बताई जाती
है। कहा जाता है कि किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। उसने बर्तन बनाकर
आंवां लगाया तो बर्तन पके नहीं। परेशान होकर वह राजा के पास गया और राजा
को परेशानी बताई। राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा। कहा जाता है कि
राजपंडित ने कहा कि हर बार आंवा लगाते समय एक बच्चे की बलि दी जाए तो
आंवां पक जाएगा। राजा ने भी आदेश जारी कर दिया। जिस परिवार की बारी होती,
वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इस तरह कुछ दिनों
बाद एक बुढिय़ा के लडक़े की बारी आई। बुढिय़ा के एक ही बेटा था तथा उसके
जीवन का सहारा था, पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती।
दुखी बुढि़य़ा सोचने लगी, मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से
जुदा हो जाएगा। तभी उसको एक उपाय सूझा। उसने लडक़े को सकट की सुपारी तथा
दूब का बीड़ा देकर कहा कि भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। सकट
माता तेरी रक्षा करेंगी। सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और
बुढिय़ा सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी। पहले तो आंवा
पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात
में आंवा पक गया। प्रात: कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया। आंवां पक गया
था और बुढिय़ा का बेटा जीवित व सुरक्षित था। सकट माता की कृपा से नगर के
अन्य बालक भी जी उठे। यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर
ली। तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है।

Comment here