NCRNewsUncategorizedअध्यात्मअर्थव्यवस्थादेशराजनीतिराज्य

श्रीमदभागवत गीता में है जीवन का सार, नारी के सम्मान का भी मिलता है उल्लेख : यति नरसिंहानदं महाराज

गुरुग्राम। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने हरमिलाप मंदिर शिवपुरी में सनातन धर्म की रक्षा और भक्तगणों की सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 7 दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ का आयोजन किया हुआ है। महायज्ञ में श्रीमद्भगदगीता के बारे में विस्तार से बताया गया। यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की मूल मान्यताओं के अनुसार जो समाज या व्यक्ति नारी के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता, उसे जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं होता। इसका सबसे बड़ा प्रमाण महाभारत का युद्ध है जो एक नारी महारानी द्रौपदी के अपमान के प्रतिशोध के लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण द्वारा रचाया गया था। हस्तिनापुर की राजसभा में जितने भी गणमान्य बैठ कर द्रौपदी का अपमान देख रहे थे,उन सभी को योगेश्वर ने मिटने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था। ऐसा नहीं है कि द्रौपदी के अपमान का दंड केवल कौरवों को मिला। इसका दंड पांडवों को भी भुगतना पड़ा। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने पांडवों को भी उनकी कायरता का इतना कठिन दंड दिया था कि उनके परिवार में उन 5 भाइयों के अतिरिक्त केवल एक बच्चा जीवित बचा था जो महाभारत के समय अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में था। यूं तो अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाकर इस शिशु की भी हत्या कर दी परंतु योगेश्वर श्रीकृष्ण ने इस शिशु को जीवनदान दिया। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपनी इस लीला से सिद्ध किया कि जो भी व्यक्ति, परिवार या समाज अपनी नारियों के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता, उसको जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि लव जिहाद जैसी घातक बीमारियों का उपचार केवल श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर ही किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त कोई उपचार नहीं है। आयोजन में यति अभयानंद, यति धर्मानंद, पुरोहित पंडित सनोज शास्त्री, नरेश गर्ग, पंकज गर्ग, दिनेश सिंघल, दीपक अग्रवाल, नागेश त्यागी, विपुल मित्तल, राजीव गर्ग, सुरेश केडिया, सुधीर गुप्ता, अनुज गुप्ता, मयंक आदि मौजूद रहे।