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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व का आयोजन 16 को, बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग

गुरुग्राम। सनातन धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का बड़ा महत्व है। इस पर्व का श्रद्धालुओं का बेसब्री से इंतजार होता है। भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच इस व्रत का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है, जो श्रीकष्ण जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व प्रतिवर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव होता है। इस दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है। इस बार यह पर्व आगामी 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
कब है शुभ मुहूर्त
उनका कहना है कि 15 अगस्त को देर रात्रि 11 बजकर 48 मिनट पर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ होगी और 16 अगस्त की रात्रि 9 बजकर 35 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को रात्रि 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
जन्माष्टमी का है बड़ा महत्व
डा. मनोज शर्मा का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण मथुरा नगरी में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे। मान्यता है कि जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख कर पूजा- अर्चना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है। वहीं महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जो भगवान कृष्ण के बचपन की लीलाओं का प्रतीक है।