गुरुग्राम। सावन माह के चौथे व अंतिम सोमवार पर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों स्थित मंदिरों, शिवालयों व आश्रमों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। दैनिक कार्यों से निवृत होकर प्रात: से ही श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में पहुंचना शुरु हो गए थे। पूजा-अर्चना का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा। महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर भगवान शिव की स्तुति भी की। शहर के भूतेश्वर, घंटेश्वर, सिद्धेश्वर, गुफावाला मंदिर, सैक्टर 9ए स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर, सैक्टर 4 के श्रीकृष्ण, शिव मंदिर, राम मंदिर, सूर्य विहार का माता वैष्णो देवी मंदिर, गीता भवन, बाबा प्रकाशपुरी आश्रम, अर्जुन नगर के शिव मंदिर, सुदर्शन, प्रेम मंदिर, प्रताप नगर स्थित श्रीराम मंदिर, गढ़ी हरसरु स्थित माता वैष्णो मंदिर, पटौदी क्षेत्र के इंच्छापुरी स्थित शिव मंदिर आदि में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का आक, धतूरा, शहद, बेलपत्र, दूध आदि से अभिषेक किया। आचार्य हरीश उपाध्याय का कहना है कि श्रावण माह में शिव पूजन से प्रसन्नता की वर्षा होती है। श्रावण माह को भगवान शिव की उपासना का माह बताया गया है। श्रावण में शिव की स्तुति से भक्तों पर प्रसन्नता की बारिश होती है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से पूरी सृष्टि का जलाभिषेक हो जाता है। यह सार्वभौमिक उपासना जैसा फल देता है। इसके साथ ही श्रद्धालु शिव के ओमकार रुप से एकाकार हो जाते हैं। वर्षा ऋतु में एक ओर प्रकृति विश्व रुप में शिव की आराधना करती है तो वहीं दूसरी ओर श्रद्धालु घर में शिव के सृष्टिपरक लघु रुप की पूजा करते हैं। शिव को तीनों लोकों का स्वामी माना गया है, तभी तो शिव जी पर 3 पत्तियों वाला वेलपत्र चढ़ाया जाता है। उनका कहना है कि श्रावण मे की गई शिव आराधना जीवन में आनंद ही आनंद बरसाती है।