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श्रद्धालु आज व्रत रखकर मनाएंगे अजा एकादशी का पर्व

गुरुग्राम।,भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। यह तिथि हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के बाद आती है। इस दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। आज मंगलवार को अजा एकादशी श्रद्धालुओं द्वारा व्रत रखकर मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि अजा एकादशी करने वालों के पितर निम्र योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। एकादशी के दिन किए हुए व्रत, गौदान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।
अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि अजा एकादशी तिथि का प्रारंभ सोमवार की सायं 5 बजकर 22 मिनट से होगा और मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर समापन होगा। इसलिए आज मंगलवार को श्रद्धालुओं द्वारा व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी।
अजा एकादशी की पूजा विधि
उनका कहना है कि दैनिक कार्यों से निवृत होकर श्रद्धालुओं को स्वच्छ एवं पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। घर के मंदिर में श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, भगवान को फल, फूल, अक्षत, वस्त्र, मिठाई, दीपक और धूप अर्पित करे, घी का दीप प्रज्वलित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।  व्रत पारण से पहले जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।  
अजा एकादशी से जुड़ी क्या हैं मान्यताएं
उनका कहना है कि इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि अजा एकादशी के प्रभाव से ही राजा हरिश्चंद्र ने अपना खोया हुआ राज्य वापस पाया था और उनका मृत पुत्र पुन: जीवित हो गया था। इस व्रत का फल हजार गौदान करने के बराबर माना जाता है।