गुरुग्राम।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी के रुप में श्री राधा जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाजी का जन्म हुआ था। रविवार को राधा जी का जन्मोत्सव राधाष्टमी के रुप में मनाया गया। शहर के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर जहां भगवान श्रीकृष्ण व राधा जी के दर्शन किए, वहीं उनकी पूजा-अर्चना कर भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया। सैक्टर 4 स्थित श्रीकृष्ण मंदिर, सैक्टर 9 स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, घंटेश्वर, सिद्धेश्वर, प्रेम मंदिर, सुदर्शन मंदिर, श्रीराम मंदिर, सूर्य विहार के श्री वैष्णो देवी मंदिर तथा शीतला माता मंदिर में राधाष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। गौरी शंकर मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में महिलाएं व क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। महिला मंडली ने भजनों का गुणगान किया। आचार्य हरीश उपाध्याय का कहना है कि शास्त्रों में भी उल्लेख है कि राधा जी भी भगवान श्रीकृष्ण की तरह ही अनादि और अजन्मी हैं। भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि मैं राधा नाम लेने वाले के पीछे चल देता हूं। यानि कि परमेश्वर श्री कृष्ण भी इनके अधीन रहते हैं। जहां श्री कृष्ण त्रिगुण माया और विकास रुपी प्रकृति से परे ब्रह्मरूप हैं, वहीं श्री राधा प्रकृति से दूर ब्रह्मस्वरूपा हैं। महिलाओं ने व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण व राधा की पूजा अर्चना की। उनकी आरती भी उतारी गई। कहा जाता है कि राधा जी श्री लक्ष्मी का ही स्वरुप हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने से धन-धान्य व ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
श्रद्धालुओं ने धूमधाम से मनाया राधाष्टमी का पर्व
