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श्रद्धाजलि सभा का हुआ आयोजन

गुरुग्राम। जीवन का शाश्वत सत्य है मृत्यु। जन्म लेने के साथ ही व्यक्ति की मृत्यु का समय भी तय हो जाता है। मृत्यु से हर कोई डरता है लेकिन मृत्यु का अनुभव व्यक्ति को जीवन की सच्चाई बता जाता है। उक्त विचार समाजसेवियों व गणमान्य व्यक्तियों ने रविवार को डा. राम मनोहर लोहिया के अनुयायी 104 वर्षीय पंडित सोरण लाल की श्रद्धांजलि सभा में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए व्यक्त किए। श्रद्धांजलि सभा दिवंगत आत्मा के पैतृक गाव उत्तरप्रदेश के सहारणपुर जिले के गांव पठेड़ बर्थाकायस्थ में आयोजित की गई। श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में समाजसेवी, राजनेता व क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों के अलावा ग्रामीण भी बड़ी संख्या में शामिल रहे। उन्होंने पंडित सोरण लाल से जुड़े संस्मरणों को स्मरण करते हुए कहा कि वह बड़े नेकदिल इंसान थे। वे कई वर्षों तक ग्राम पंचायत के प्रधान भी रहे और उन्होंने सदैव जरुरतमंदों की मदद करने के साथ-साथ क्षेत्र के विकास में भी बड़ा योगदान दिया। वक्ताओं का कहना था कि लोगों को यह जानने की जिज्ञासा कम नहीं होती कि आखिर मृत्यु के बाद क्या होता है। ऐसे लोग भी हुए हैं जिन्हें मृत्यु का पहले से ही आभास हो गया था। गौरतलब है कि गत 3 सितम्बर को पंडित सोरण लाल का अपने पैतृक गांव में निधन हो गया था। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।