गुडग़ांव, गत दिवस मुस्लिम समुदाय का पवित्र माह ए
रमजान का चांद दिखाई देने के बाद रमजान शुरु हो गया है। शनिवार को रमजान
का पहला दिन था। इस बार रमजान में 4 जुम्मा आ रहे हैं। मुस्लिम समाज
रमजान के पवित्र माह की बड़ी बेसब्री से इंतजार करता है। रविवार को रमजान
का दूसरा दिन है। आज रविवार को जहां सहरी का समय प्रात: 4 बजकर 19 मिनट
होगा, वहीं सायं रोजा इफ्तार का समय 6 बजकर 55 मिनट होगा। कोरोना वायरस
के चलते इस बार समुदाय के लोग रमजान की नमाज मस्जिदों में अता नहीं कर
पाएंगे। धर्म गुरुओं ने सभी रोजेदारों से आग्रह किया है कि वे घरों में
रहकर ही पांचों वक्त की नमाज अता करें और घरों में भी सामाजिक दूरी का
पालन करते हुए खुदा से कोरोना वायरस के प्रकोप से निजात पाने की दुआ भी
करें। सोहना चौक स्थित जामा मस्जिद के इमाम जान मोहम्मद का कहना है कि
रोजेदार रमजान के इस एक माह में अल्लाह की इबादत कर चैन-अमन की दुआ
मांगते हैं। रमजान के इस पवित्र माह में लोग जकात भी बांटते हैं। इस
महीने के दौरान हर रोज कुरान पढऩे से ज़्यादा सबाब मिलता है। इस माह में
इंसान और अल्लाह के बीच की दूरी कम होती है। अल्लाह के प्रति विश्वास
पक्का होता है। रमजान का माह एकता और सहनशीलता की पे्ररणा देता है। उनका
कहना है कि रमजान के माह में रोजेदार को गलत आदतों से दूर रहना चाहिए।
गलत देखने, सुनने और बोलने तक मनाही होती है। रोजेदार को लड़ाई-झगड़ों से
दूर रहना चाहिए, नेकी का रास्ता अपनाना चाहिए। रोजे रखने का असल मकसद महज
भूख-प्यास पर नियंत्रण रखना नहीं है बल्कि रोजे की रूह दरअसल आत्म संयम,
नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प और उस पर
मुस्तैदी से अमल में बसती है। उनका कहना है कि रमजान की तैयारियों के लिए
जामा मस्जिद पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने जिला प्रशासन से भी आग्रह
किया है कि रमजान के दिनों में बिजली और पेयजल की पूरी व्यवस्था की जाए।
क्योंकि इनके बिना रोजेदारों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
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