NCRअर्थव्यवस्थादेशराज्यस्वास्थ्य

वृद्धजनों को कोरोना काल में दुव्र्यवहार का करना पड़ा है सामना

गुडग़ांव, कोरोना महामारी की दूसरी लहर से हर आयु वर्ग
प्रभावित हुए बिना नहीं रहा है। हालांकि कोरोना की यह दूसरी लहर का
प्रभाव अब कम होता दिखाई देने लगा है। दिन-प्रतिदिन कोरोना के नए
संक्रमितो की संख्या लगातार कम होती जा रही है। कोरोना काल में वृद्धजनों
को भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। वृद्धजनों को अपनों से ही
दुव्र्यवहार झेलना पड़ा। कोरोना महामारी के कारण उनका जीवन प्रभावित हुआ
है। इन वृद्धजनों को अपने जीवन में कोरोना काल में उपेक्षा का सामना भी
करना पड़ा। कोरोना संक्रमित वृद्धजनों के स्वास्थ्य पर भी काफी प्रतिकूल
प्रभाव पड़ा है। उनमें अवसाद और तनाव की समस्या भी बढ़ी है। सबसे बड़ी
समस्या वृद्धजनों को अपनी चिकित्सा कराने में आई। जानकारों का कहना है कि
देश के केवल 19 प्रतिशत वृद्धजनों के पास बीमा है, जिसके चलते वे महंगा
स्वास्थ्य खर्च भी नहीं उठा सकते और इसके लिए उन्हें मजबूर होकर दूसरों
पर निर्भर रहना पड़ता है। जानकारों का यह भी कहना है कि वृद्धजनों में
मधुमेह, रक्तचाप और हृदय संबंधी रोग आमतौर से हैं, जिनका उन्हें सामना
करना पड़ता है। कोरोना काल में इन बीमारियों ने भी उन्हें बुरी तरह से
घेरा है। लॉकडाउन में जब आवाजाही रुकी और वृद्धजन अपनों के ही आश्रित
होकर रह गए। देश के 70 प्रतिशत 80 वर्ष से ऊपर के लोग आर्थिक रुप से
दूसरो पर ही निर्भर हैं। कोरोना काल में उपचार और दवाओं की कमी उनके
स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बनी रही। जानकारों का यह भी कहना है कि
कोरोना की दूसरी लहर से सबक लेकर हम सभी को वृद्धजनों के लिए मानसिक और
शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य मे प्रतिकूल
परिस्थितियों में वृद्धजनों पर अधिक असर न पड़े और उन्हें कोरोना की
संभावित तीसरी लहर के प्रकोप से भी बचाया जा सके।

Comment here