गुडग़ांव, रमजान को इबादत व इंसानियत का माह माना जाता
है। यह माह मुस्लिम समुदाय में बहुत ही पवित्र माह है। रहमतों और बरकतों
वाला माह है रमजान। खुद का विशलेषण करने का माह भी है रमजान। रमजान आज से
नहीं पैगम्बर मोहम्मद और उनसे भी पहले के दौर से ही मनाए जाते हैं। रमजान
के दौरान कुछ नियमों का भी पालन भी किया जाता है। इनके पालन करने से
जिंदगी में जीने का नया सलीका आता है। सोहना चौक स्थित जामा मस्जिद के
इमाम जान मोहम्मद का कहना है कि रोजे रखने का वैज्ञानिक कारण भी बताया
जाता है। माना जाता है कि शरीर के टॉक्सिस बाहर निकालने के लिए भूखा रहना
होता है। मुस्लिम समुदाय इस कार्य को बहुत पहले से करता आ रहा है। रमजान
को लेकर समुदाय के लोगों में बड़ा उत्साह दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस
के चलते लोग घरों में ही 5 वक्त की नमाज अता कर रहे हैं। रोजेदारों
द्वारा सोमवार को तीसरा रोजा रखा गया। इमाम का कहना है कि आज मंगलवार को
चौथे रोजे पर खत्म सहरी का समय प्रात: 4 बजकर 17 मिनट है, जबकि रोजा
इफ्तार का समय सायं 6 बजकर 56 मिनट का है।
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