गुडग़ांव, ईद-उल-जुहा यानि कि कुर्बानी की ईद मुस्लिम
समुदाय का एक प्रमुख त्यौहार है। इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।
रमजान के पवित्र माह की समाप्ति के करीब 70 दिनों बाद इस त्यौहार को
समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते रहे हैं। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत
इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को ईद-उल-जुहा के दिन खुदा के हुक्म पर
खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे तो अल्लाह ने उनके पुत्र को
जीवनदान दे दिया था, जिसकी याद में ईद-उल-जुहा का पर्व मनाया जाता है।
इसको कहा जाता है कि इस्लाम को मानने वाले पूरे विश्व के मुसलमान मक्का
सऊदी अरब में एकत्रित होकर हज मनाते हैं और ईद-उल-जुहा भी इसी दिन मनाई
जाती है। इस दिन जानवरों की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतिकात्मक
कुर्बानी है। मस्जिदों में समुदाय के लोग सामूहिक रुप से नमाज अता करते
हैं और अपनी सामथ्र्यनुसार जरुरतमंदों में जकात (दान) भी वितरित करते
हैं। समुदाय के लोग एक दूसरे के गले मिलकर मुबारकबाद भी कहते हैं। अन्य
समुदाय के लोग भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को गले मिलकर ईद मुबारक देते
हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण सामूहिक नमाज अता करने
का कार्यक्रम संभवत: नहीं हो सकेगा। ईद-उल-फितर की तरह ही लोग अपने घरों
में ही नमाज अता कर सकेंगे। सोहना चौक स्थित जामा मस्जिद के इमाम जान
मोहम्मद का कहना है कि ईद-उल-जुहा अरब के देशों में 31 जुलाई को मनाई
जाएगी। हिंदुस्तान व अन्य देशों मे एक दिन बाद यानि कि एक अगस्त को
ईद-उल-जुहा का पर्व समुदाय के लोग मनाएंगे। इस पर्व को मनाने को लेकर अभी
प्रदेश सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। हालांकि
31 अगस्त तक गुडग़ांव के सभी धार्मिक स्थल प्रदेश सरकार ने कोरोना प्रकोप
के चलते बंद किए हुए हैं। पहली अगस्त से ये खुलते हैं या नहीं यह प्रदेश
सरकार के आदेश पर ही निर्भर करता है।
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