गुडग़ांव, वर्ष 2015 में पालम विहार पुलिस थाना में दर्ज
पॉक्सो एक्ट के मामले में पुलिस द्वारा जिला अदालत में अनट्रेसेबल
रिपोर्ट प्रस्तुत कर देने के आदेश को पीडि़त पक्ष ने पंजाब एंड हरियाणा
उच्च न्यायालय में चुनौती दी हुई है। इस मामले की सुनवाई गत दिवस उच्च
न्यायालय के न्यायाधीश महावीर सिंह सिंधू के न्यायालय में हुई, जिसमें
गुडग़ांव के पुलिस आयुक्त मोहम्मद अकील व अन्य पुलिस अधिकारी भी पेश हुए
और उन्होंने मामले की स्टेटस रिपोर्ट शपथ पत्र के साथ पेश की। पुलिस
आयुक्त की ओर से प्रदेश के न्याय विभाग के डीएजी भी पेश हुए और उन्होंने
न्यायालय से आग्रह किया कि इस मामले की जांच के लिए 6 माह का समय दिया
जाए, जिसका शिकायतकर्ता के अधिवक्ता केके मनन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि
पुलिस का इस मामले में पहले से ही रवैय्या सही नहीं रहा है। क्योंकि
पुलिस ने पिछले 5 सालों में इस मामले में कुछ भी नहीं किया, अपितु पुलिस
अंट्रेसेबल रिपोर्ट भी अदालत में लगा चुकी है। उन्होंने अदालत से यह
आग्रह भी किया कि जिस मोबाइल को गुडग़ांव पुलिस को जोधपुर से लाना है, उसे
यदि पुलिस चाहे तो कार्यवाही कर 5-7 दिन के भीतर भी ला सकती है, लेकिन
पुलिस जोधपुर अदालत में गलत पिटिशन दायर कर इस मामले में नाहक बिलंव कर
रही है। न्यायाधीश ने डीएजी के आग्रह पर असहमति व्यक्त करते हुए आदेश
दिया कि 2 माह के भीतर पुलिस अधिकारी इस मामले की पूरी जांच कर रिपोर्ट
के साथ आगामी 30 जुलाई को न्यायालय में पेश हो, ताकि पीडि़ता को न्याय
दिलाया जा सके। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र
के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आशाराम बापू आए थे। बापू ने
परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को आशीर्वाद भी दिया था। उस
समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आशाराम
प्रकरण के बाद 3 टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था।
परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आशाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए
वीडिय़ो को तोड़-मरोडक़र अश£ील व अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था,
जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा
था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिस
पर पुलिस थाना ने जीरो एफआईआर दर्ज कर नोएडा पुलिस को भेजकर अपना पल्ला
झाड़ लिया था। पीडि़त पक्ष को सहयोग करने वाली संस्था जन जागरण मंच के
हरि शंकर कुमार का कहना है कि पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की थी, जिस पर
पीडि़त पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी। सर्वोच्च न्यायालय
ने पीडि़ता की गुहार पर आदेश दिए थे कि गुडग़ांव पुलिस मामला दर्ज करे।
पालम विहार पुलिस थाना ने वर्ष 2015 की 19 मार्च को एफआईआर दर्ज कर ली
थी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की थी और अदालत में
अनट्रेसेबल रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर पीडि़ता के
परिजनों ने अनट्रेसेबल रिपोर्ट को लेकर जिला अदालत में प्रोटेस्ट पिटिशन
दायर की हुई है, जिस पर आगामी 15 जून को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मधुर बजाज
की अदालत में सुनवाई निश्चित है।
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