गुरुग्राम, प्रिंस हत्याकांड में प्रदेश सरकार ने 4
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुमति नहीं दी है, जिससे
पीडि़त पक्ष बड़ा आहत होता दिखाई दे रहा है। पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता
सुशील टेकरीवाल का कहना है कि प्रदेश सरकार के गृह विभाग के अतिरिक्त
मुख्य सचिव के फैसले को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी
जाएगी, जिसमें न्यायालय से आग्रह किया जाएगा कि पुलिस अधिकारियों के
खिलाफ कार्यवाही करने की अनुमति दी जाए। उनका कहना है कि पुलिस ने
निष्पक्षता से जांच नहीं की थी, उन्हें सजा तो मिलनी ही चाहिए। उधर
प्रिंस के पिता वरुण ठाकुर का भी कहना है कि इस मामले में 19 मार्च की
तारीख सीबीआई अदालत में लगी है। उससे पूर्व ही उच्च न्यायालय में जाने की
तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। अधिवक्ताओं से विचार-विमर्श के बाद ही उच्च
न्यायालय में सरकार के फैसले को चुनौती दी जाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2017
की 8 सितंबर को जिले के एक निजी स्कूल में कक्षा दूसरी के छात्र प्रिंस
की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आनन-फानन में मामला दर्ज कर
स्कूल के ही बस कंडक्टर अशोक को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज
दिया था। जब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी तो सीबीआई ने स्कूल की
कक्षा 11वीं के छात्र भोलू को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया था। तभी से
वह न्यायिक हिरासत में है और सीबीआई ने बस कंडक्टर अशोक को क्लीनचिट दे
दी थी। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि इस मामले की जांच कर रहे
तत्कालीन एसीसी ब्रह्म सिंह, भौंडसी पुलिस थाना प्रभारी नरेंद्र खटाना,
सब इंस्पेक्टर शमशेर सिंह व ईएएसआई सुभाषचंद पुलिस अधिकारियों ने तथ्यों
से छेड़छाड़ की है और उनके खिलाफ सीबीआई अदालत में मुकदमा चलाने का आग्रह
भी किया था, लेकिन पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने से पूर्व प्रदेश
सरकार की अनुमति भी जरुरी थी। लेकिन गत दिवस प्रदेश सरकार ने इन
अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी।
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