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मानसून को लेकर मौसम विभाग की भविष्यवाणी रह गई धरी,न जाने कहां भटक गया मानसून धरती मां की पीड़ा को भी नहीं समझ पा रहा है इंसान

गुडग़ांव, कोरोना महामारी ने आम आदमी की कमर पहले से ही
तोडक़र रख दी है। आम आदमी को अपना घर चलाना बड़ा मुश्किल हो गया है।
मानसून भी कहीं भटका हुआ दिखाई दे रहा है। लोगों का मानना है कि मानसून
देरी से आ रहा है तो इसके कारण महंगाई और अधिक बढ़ेगी, जोकि निश्चित ही
है। मौसम विभाग ने मानसून को लेकर जब भी कोई भविष्यवाणी की है  वह खरी
नहीं उतरी है। इसलिए लोग मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर कम ही भरोसा कर
पाते हैं। जानकारों का कहना है कि यदि मानसून सही समय पर दस्तक दे दे तो
परेशान जनता को कुछ राहत मिल सकती है। मौसम विभाग ने मानसून के समय से
पूर्व आने की घोषणा की थी कि मानसून खूब बरसेगा, लेकिन ऐसा होता दिखाई
नहीं दे रहा है। साहूकार व व्यापारी भी खुश थे कि मानसून के झमाझम बरसने
से उनकी समस्याओं का भी समाधान हो जाएगा। यानि कि लोग जहां खूब खरीददारी
करेंगे, वहीं लिया हुआ कर्ज भी वापिस कर देंगे, लेकिन ऐसा होता दिखाई
नहीं दे रहा है। मौसम विभाग के जानकारों का कहना है कि मानसून देरी से
क्यों आ रहा है, इसके बारे में भी विचार कर लेना चाहिए, लेकिन लोग इस ओर
कभी कोई ध्यान नहीं देते। उनका कहना है कि मानसून गर्मी भगाता है, यह सच
है। मानसून को भी गर्मी पसंद नहीं है। उन्होंने और स्पष्ट करते हुए कहा
कि जब हमारा शरीर गर्म होने लगता है तो हम समझ जाते हैं कि बुखार हो गया
है और बुखार का उपचार किया जाता है। इसी प्रकार धरती भी गर्म होती है,
उसे भी बुखार आता है लेकिन इंसान धरती का बुखार दूर करने के लिए कभी
कोशिश नहीं करता। हम दिन-प्रतिदिन कोई न कोई ऐसी हरकतें करते रहते हैं,
जिससे धरती को नुकसान पहुंचता है। धरती के भीतर का जलदोहन हमनें खूब किया
है। धरती को मां की संज्ञा दी गई है। धरती मां को पेड़-पौधों से बहुत
प्यार है, लेकिन हम सभी ने पेडों को विकास के नाम पर काटकर वहां कंक्रीट
का जंगल बसा लिया है। हरियाली हमने नष्ट करके रख दी है। ऐसे में धरती का
तापमान कैसे कम हो सकेगा और मानसून भटकेगा नहीं तो क्या करेगा? आखिर उसे
भी तो धरती से प्यार है। पौधारोपण अभियान चलाया जाता है, लेकिन रोपित किए
गए पौधों की कोई बाद में सुध ही नहीं लेता। जानकारों का कहना है कि धरती
मां हमें बार-बार सावधान कर रही है कि वृक्षों को बचाओ, नए पौधे लगाओ।
यदि ऐसा नहीं होगा तो सबकुछ खत्म हो जाएगा, लेकिन इंसान में संवेदना तो
रही ही नहीं। जानकारों का यह भी कहना है कि बदलते इस परिवेश में मानसून
नहीं, अपितु इंसान ही भटक गया है। मानसून तो देर सवेर में आएगा ही, जो
धरती को सराबोर कर देगा, लेकिन इंसान कब धरती पर हरियाली लाएगा ऐसा होता
प्रतीत नहीं हो रहा है। धरती का तापमान पेड़-पौधों व हरियाली से ही कम
होगा।

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