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भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व का विभिन्न क्षेत्रों में रहा है बड़ा महत्व

गुरुग्राम। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंध पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है। राख्री कच्चे सूत जैसी वस्तु से लेकर रंगीन कला व रेशमी धागे तथा सोने या चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है। रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है। यानि कि भाई अपनी बहन की सुरक्षा के लिए हर तरह से जिम्मेदार है। राखी बांधकर बहनें अपने भाईयों से यही आशा करती हैं कि विपत्तियों के समय भाई उनकी रक्षा करेंगे। इस पर्व का धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है। इस बार यह पर्व आगामी 9 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। बाजारों में राखियों की दुकानें सजी हुई हैं और बहनों ने अपने भाईयों के लिए राखियों की खरीददारी भी शुरु कर दी है। इस पर्व का स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी बड़ा योगदान बताया जाता है। अमरनाथ की यात्रा गुरु पूर्णिमा से प्रारंभ होकर रक्षाबंधन के दिन संपूर्ण होती है। कहा जाता है कि इसी दिन यहां का हिमानी शिवलिंग भी अपने पूर्ण आकार को प्राप्त होता है।  देश के सभी प्रदेशों में इस पर्व को विभिन्न नामों से धूमधाम से लोग मनाते हैं।
पौराणिक महत्व भी है रक्षाबंधन का
इस पर्व का पौराणिक प्रसंग भी है। राखी का पर्व कब शुरु हुआ, यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में उल्लेख है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरु हुआ, तब दानव हावी होते नजर आने लगे। भगवान इंद्र घबराकर बृहस्पति के पास गए। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर अपने पति के हाथ पर बांध दिया था। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि दानवों के साथ हुई इस लड़ाई में इस धागे की मंत्र शक्ति से ही इंद्र विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है। कृष्ण व द्रोपदी की कहानी भी इतिहास मे प्रसिद्ध है। युद्ध के दौरान कृष्ण की अंगुली घायल हो गई थी, तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाडकर कृष्ण की अंगुली में बांध दिया था। बदले में कृष्ण ने द्रोपदी को किसी भी संकट में सहायता करने का वचन दिया था, जो उन्होंने द्रोपदी चीरहरण के दौरान अपना दिया हुआ वचन निभाया था।
ऐतिहासिक महत्व भी है रक्षाबंधन का
राजपूत जब युद्ध में जाते थे, तब महिलाएं उनके माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ-साथ हाथ में रेशम का धागा भी इस विश्वास के साथ बांधती थी कि वह विजयश्री के साथ वापिस आएंगे। मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुर शाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की सूचना मिली थी। रानी लडऩे में असमर्थ थीतो उसने मुगल बादशाह हुमायंू को राखी भेजकर रक्षा की याचना की थी और हुमांयु ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी थी।
महाभारत में मिलता है उल्लेख
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि जब युधिष्ठर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि वह कैसे संकटों को पार कर सकते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी। स्वतंत्रता  संग्राम  में  भी  है पर्व  का  महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनजागरण के लिए इस पर्व का सहारा लिया गया था। रविंद्र नाथ ठाकुर ने बंग-भंग का विरोध करते समय रक्षाबंधन पर्व को बंगालियों के पारस्परिक भाईचारा तथा एकता का प्रतीक बनाकर इस पर्व का राजनीतिक उपयोग आरंभ किया था। आस्था के इस पर्व ने देशवासियों को एक सूत्र में बांधकर अंग्रेजों के खिलाफ वातावरण तैयार कर दिया था।
साहित्यिक महत्व भी है इस पर्व का
अनेक साहित्यिक ग्रंथ ऐसे हैं जिनमें रक्षाबंधन का वर्णन मिलता है। हरिकृष्ण प्रेमी का ऐतिहासिक नाटक रक्षाबंधन जिसका 1991 में प्रकाशन भी हो चुका था। मराठी में भी रक्षाबंधन पर्व को लेकर कई नाटकों का मंचन किया गया है।
फिल्मों में भी लोकप्रिय रहा है रक्षाबंधन
राखी नाम से ही नहीं, अपितु रक्षाबंधन के नाम से कई फिल्में भी बनाई गई। रक्षाबंधन फिल्म में तत्कालीन कलाकारों अशोक कुमार, वहीदा रहमान, प्रदीप कुमार, अमिता जैसे कलाकारों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। राजेंद्र कृष्ण का लिखा गया गीत राखी धागों का त्यौहार बड़ा प्रसिद्ध हुआ था।
आधुनिक तकनीक का भी प्रभाव पड़ा है इस पर्व पर
आधुनिक तकनीकी युग का भी इस त्यौहार पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। बड़ी संख्या में भारतीय विदेश में रहते हैं और उनके परिजन अभी भी भारत या अन्य देशों में हैं। इंटरनेट के आने के बाद कई सारी ई-कॉमर्स साइट खुल गई हैं। जो ऑनलाईन ऑर्डर लेकर राखी दिए गए पते पर पहुंचाती हैं। देश में इस पर्व से संबंधित एक एनिमेटिड सीडी भी आ गई है, जिसमें बहन द्वारा भाई को टीका करने व राखी बांधने का चलचित्र भी है। बहनें विदेशों में रहने वाले अपने भाईयों को राखी के अवसर पर इस सीडी को भेजकर रक्षाबंधन का पर्व मनाती हैं। रक्षाबंधन के पर्व की बहनें कई दिनों से तैयारियों में लगी रहती