गुडग़ांव, प्रभू कथा श्रवण करने के लिए कथा में केवल
सशंय निवृति या विवेक प्राप्ति के लिए ही नहीं जाना चाहिए। मानव के मानस
में कथा श्रवण करने के ये ही 2 उद्देश्य हैं। क्योंकि संशय निवृति और
विवेक से ही वास्तविक श्रद्धा होती है। यह बात मंथन आई हैल्थकेयर
फाउण्डेशन के संस्थापक व श्री गीता साधना सेवा समिति के अध्यक्ष
गीताज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने महाशिवरात्रि के पर्व पर
जरुरतमंद लोगों को राशन वितरित करते हुए कही। उनका कहना है कि स्वयं
भगवान शिव का भी मानना है कि यदि जिज्ञासु श्रोता की दृष्टि से देखें तो
संशय निवृति और बुद्धि का विवेकी होना जरुरी है। भगवान शिव तो राम कथा
में बड़े मस्त होकर रामकथा का अमृत की तरह पान करते हैं। प्रभूृ कथा में
होने वाला नशा इंसान को संभालता है और उसे सदबुद्धि भी देता है।
जरुरतमंदों को राशन सामग्री वितरित करते हुए महाराज जी ने कहा कि कोरोना
महामारी से जितना बचा जा सके वह कम है। प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन
द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करके ही इस महामारी से ही बचा जा
सकता है। आयोजन को सफल बनाने में समाजसेवी महेंद्र कौशिक, मदन खुराना,
डा. हरभगवान बतरा, राज कुमार, कृष्ण नंदवानी, मुकेश मल्होत्रा, गोखरदास
खुराना, मोहनलाल बतरा, सोहन भारती, जतिन शर्मा, दिनेश हसीजा, पंडित चंद्र
शेखर आदि का सहयोग रहा।
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