गुडग़ांव, तीज-त्यौहारों पर पतंग उड़ाना देशवासियों की
प्राचीन परंपरा रही है। चाहे तीज का अवसर हो या फिर रक्षाबंधन या
स्वतंत्रता दिवस हो। इन पर्वों पर युवा वर्ग बड़ी संख्या में पतंग उड़ाता
नजर अवश्य आता है। गत माह तीज और रक्षाबंधन पर पतंगबाजी से बड़ी संख्या
में पक्षी भी घायल हो गए थे। पक्षी प्रेमियों ने इन घायल पक्षियों का
उपचार कराने के लिए इन्हें जैकबपुरा स्थित बर्ड अस्पताल भी पहुंचाया।
पतंग के मांझे से इन पक्षियों के पंख कट गए थे। पतंग की डोर पेड़ों से
अटकने के कारण ये पक्षी लहू-लुहान हुए थे। लोग पतंगबाजी का शौक तो पूरा
कर लेते हैं, लेकिन उनके शौक का खामियाजा पक्षियों को भुगतना पड़ता है।
पक्षी प्रेमी पंकज वर्मा व सीमा वर्मा का कहना है कि लोगों को अपना शौक
पूरा करने के लिए पक्षियों के जीवन से खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं
है, अपितु पक्षियों की सुरक्षा की जानी चाहिए। उनका कहना है कि अभी तो 15
अगस्त का पर्व भी आने वाला है। इस दिन भी पतंगबाजी का शौक रखने वाले लोग
पतंग भी अवश्य उड़ाएंगे। इस पतंगबाजी से भी कई पक्षी घायल हो जाएंगे। जब
पतंग के मांझे ने ही इन पक्षियों के पंख काट दिए हैं तो अब वे कैसे उड़ान
भर सकेंगे। उनका कहना है कि मांझे की जगह यदि धागे का इस्तेमाल किया जाए
तो पक्षियों को घायल होने से बचाया जा सकता है। मांझा टूटकर पेड़-पौधों
या घरों की छतों में फंस जाता है, जोकि पक्षियों को दिखाई नहीं देता और
वे इसका शिकार बन जाते हैं। पतंग के मांझे से पक्षी ही नहीं, अपितु कई
बच्चे भी इसकी चपेट में आ चुके हैं और गंभीर रुप से घायल भी हो चुके हैं।
पतंगबाजों को पतंग उड़ाते हुए नन्हे-मुन्ने बच्चों व पक्षियों का ध्यान
रखना चाहिए।
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