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पंजाब केसरी की 55वीं वर्षगांठ विषम से विषम परिस्थितियों में भी अडिग़ रहा है समाचार पत्र प्रबंधन

गुडग़ांव, पंजाब केसरी समाचार पत्र के 55 साल बेमिसाल रहे
हैं। समाचार पत्र की प्रबंधन विषम से विषम परिस्थितियों में भी पाठकों को
समाचार पत्र प्रकाशित कर उपलब्ध कराया। पंजाब में आतंकवाद का दंश इस
समाचार पत्र की प्रबंधन, एजेंट, हॉकर्स व स्टाफ आदि ने झेला था। पंजाब
केसरी के संस्थापक लाला जगतनारायण व उनके सुपुत्र रमेश चंद्र को
आतंकवादियों की गोली का शिकार भी होना पड़ा था। पंजाब केसरी समाचार पत्र
समूह के चेयरमैन कम मैनेजिंग एडिटर विजय चोपड़ा एवं ज्वाईंट मैनेंजिंग
एडिटर अश्विनी चोपड़ा के दिशा-निर्देशन में करीब एक दर्जन स्थानों से
नियमित रुप से प्रकाशित कराया जा रहा है और प्रकाशित कराकर पाठकों को
उपलब्ध कराया जा रहा है। यह कहना है जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव
एवं सामाजिक संस्था भगवान श्री परशुराम सेवादल के अध्यक्ष पंडित अरुण
शर्मा एडवोकेट का। जो उन्होंने पंजाब केसरी की 55वीं वर्षगांठ पर कही।
उनका कहना है कि पंजाब केसरी ने अपना फर्ज बखूवी से निभाया है।
निष्पक्ष,निडर व निर्भीक होकर अपना कार्य किया है। यह प्रबंधन की
कार्यकुशलता ही है कि अब यह समाचार पत्र पिछले कई दशकों से जालंधर से ही
नहीं, अपितु चंडीगढ़, लुधियाना, पालमपुर, पानीपत, हिसार, जम्मू, भटिण्डा,
रोहतक व शिमला से एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है। पंजाब में आतंकवाद का
दंश इस समाचार पत्र समूह के संचालकों व उनके साथ जुड़े लोगों को झेलना
पड़ा था। राजनैतिक कारणों से प्रैस का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया था,
लेकिन समाचार पत्र प्रबंधन ने ट्रैक्टर से पॉवर उपलब्ध कराकर समाचार पत्र
को नियमित रुप से प्रकाशित भी कराया था, ताकि पाठकों तक समाचार पत्र
पहुंच सके। विषम परिस्थितियों में भी प्रबंधन ने कभी हार नहीं मानी।
एडवोकेट अश्विनी शर्मा व अंकुर शर्मा का कहना है कि आतंकवाद से पीडि़त
परिवारों की सहायता पंजाब केसरी समाचार पत्र समूह कई दशकों से नियमित रुप
से करता आ रहा है। एडवोकेट मुकेश सैनी व पंकज त्यागी का कहना है कि पंजाब
केसरी देश की जनता के लिए देशहित में कई दशकों से आवाज बुलंद करता आ रहा
है। तभी तो भारत में 1.17 करोड़ से अधिक पाठक पंजाब केसरी के हैं। इस
समाचार पत्र की अपनी अलग ही भूमिका और पहचान है। वैश्विक कोरेाना महामारी
में भी समाचार पत्र प्रबंधन व उससे जुड़े पत्रकार आदि अपनी जान की परवाह
न करते हुए जनता की आवाज को जन-जन तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं।

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