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धरना स्थल पर किसानों ने मनाया पगड़ी संभाल दिवस रंग-बिरंगी पगडिय़ां बांधकर धरने में शामिल हुए किसान

गुरुग्राम, कृषि कानूनों को निरस्त कराने के लिए किसान
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 3 माह से डटे हुए हैं। उनके
समर्थन में विभिन्न स्थानों पर अनिश्चितकालीन धरने प्रदर्शनों का सिलसिला
भी जारी है। किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए गुडग़ांव में भी संयुक्त
किसान मोर्चा द्वारा धरना-प्रदर्शन पिछले 58 दिनों से किया जा रहा है,
जिनमें विभिन्न संस्थाओं के सदस्य भी शामिल हो रहे हैं। किसान मोर्चा के
जिलाध्यक्ष संतोख सिंह ने बताया कि मंगलवार को पगड़ी संभाल दिवस मनाया
गया। धरने में सभी लोग पगड़ी बांधकर शामिल हुए और उन्होंने कहा कि यदि ये
तीनों कानून निरस्त नहीं हुए तो किसानी पूंजीपतियों के हाथों में चली
जाएगी और किसान बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएगा। किसान रंग-बिरंगी पगडिय़ा
बांधे हुए थे। उन्होंने कहा कि पगड़ी किसान की आन-बान-शान का प्रतीक है।
मोर्चा के आरएस राठी, गजेसिंह कबलाना, राव कमलवीर ने कहा कि किसान अपनी
मेहनत से धरती का सीना चीरकर अन्न उत्पन्न करता है और पूरे देश को
खाद्यान्न उपलब्ध कराता है। सरकार ने इन कानूनों के माध्यम से किसानों की
किसानी को पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रख दिया है। ये कानून जमाखोरी और
महंगाई को भी बढाएंगे। ये पूरी तरह से जनविरोधी हैं। वक्ताओं ने कहा कि
ब्रिटिश शासनकाल में किसान विरोधी कानून बनाए गए थे, जिसके विरोध में उस
समय शहीदएआजम भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह ने किसान आंदोलन चलाया था और इस
आंदोलन का नाम पगड़ी संभाल आंदोलन पड़ गया था। उस समय भी ब्रिटिश सरकार
को किसान विरोधी कानून वापिस लेने पड़े थे। किसान नेताओं का कहना है कि
सरकार ने इन कानूनों को लाकर किसान की पगड़ी पर हमला किया है, जिसे किसान
किसी भी सूरत में सहन नहीं करेंगे। जब तक ये कानून वापिस नहीं हो जाते,
एमएसपी गारंटी कानून नहीं बन जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। पगड़ी
संभाल इस आंदोलन में समर्थकों की संख्या जबरदस्त दिखाई दी, जिनमें झाड़सा
360 गांव के चौधरी महेंद्र सिंह ठाकरान, रामकरण सौलंकी, जगपाल सिंह,
नवनीत रोज, डा. धर्मवीर राठी, सतबीर सिंह संधु, मुकेश शर्मा, विजय यादव,
धर्मवीर कटारिया, डा. सारिका, अधिवक्ता अरुण शर्मा, नरेंद्रपाल किल्होड़,
इंद्रजीत सिंह, शमशेर बेनीवाल, जयभगवान दहिया, धर्मवीर सौलंकी आदि शामिल
रहे।

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