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देवउठनी एकादशी है कल, शुरु हो जाएंगे सभी मांगलिक कार्य- पंडित राजनाथ शास्त्री

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गुरुग्राम। दीपावली, गोवर्धन, भाई दूज आदि त्यौहारों की समापन के बाद चातुर्मास पूरा हो जाएगा। कल यानि शनिवार को देवउठनी एकादशी है, जिससे सभी मांगलिक कार्य शुरु हो जाएंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार माह बाद निद्रा से जागते हैं और शुभ व मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं। शास्त्रों में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु 4 माह के लिए क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत एवं पूजन विधि
ज्योतिषाचार्य पंडित राजनाथ शास्त्री का कहना है कि प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी या देवोत्थानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं, लेकिन धूप में चरणों को ढक दें। इसके बाद एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, मौसमी फल और गन्ना रखकर डलिया से ढक दें। रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाए जाने चाहिए और पूरे परिवार के साथ रात्रि में भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। शाम की पूजा में भगवत कथा और पुराणादि का श्रवण व भजन आदि किया जाना चाहिए। इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घडियाल आदि बजाकर उठाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि इस दिन व्रत रखने से बड़े से बड़ा पाप भी व्रतियों का नष्ट हो जाता है।
ये है देवउठनी एकादशी की किवदंती
पंडित राजनाथ शास्त्री का कहना है कि एक बार लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा कि हे, नाथ आप दिन-रात जागते हैं और फिर लाखों-करोड़ों वर्षों तक सो जाते हैं। इस दौरान समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं। आपको नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लेनी चाहिए। इससे लक्ष्मी जी को भी कुछ समय विश्राम करने को मिल जाएगा। कहा जाता है कि भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले देवी, वैसे तो तुमने ठीक ही कहा है कि मेरे जागने से सब देवों को विशेषकर तुमको कष्ट होता है। अब मैं प्रतिवर्ष 4 मास शयन किया करुंगा और उस समय तुमको व देवगणों का अवकाश होगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा कहलाएगी और मेरे भक्तों को यह परम मंगलकारी उत्सवप्रद तथा पुण्यवर्धक होगी।
देवउठनी एकादशी का मुहूर्त
इस बार देवउठनी एकादशी कल प्रात: 9 बजकर 11 मिनट पर शुरु हो रही है, जो 2 नवम्बर प्रात: 7 बजकर 31 मिनट तक रहेगी।