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तीसरे जुम्मे पर रोजेदारों ने की नमाज अता अमन-चैन की मांगी अल्लाह से दुआ रोजा रखने से रोजेदारों में पैदा होती है सब्र रखने की भावना : जान मोहम्मद

गुडग़ांव, मुस्लिम समुदाय के लोगों में रमजान को लेकर काफी
उत्साह दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को रमजान के तीसरे जुम्मे पर समुदाय के
लोगों ने सोहना चौक स्थित जामा मस्जिद सहित शहर के अन्य क्षेत्रों स्थित
मस्जिदों में नमाज अता की और देश की अमन-शांति की अल्लाह से दुआ मांगी।
जुम्मे की नमाज में बड़ी संख्या में रोजेदार शामिल हुए। रोजेदारों ने सदर
बाजार क्षेत्र स्थित दुकानों से खूब खरीददारी की। आज शनिवार को खत्म सहरी
का समय प्रात: 3 बजकर 52 मिनट व वक्त इफ्तार का समय सायं 7 बजकर 12 मिनट
का होगा। जामा मस्जिद के इमाम जान मोहम्मद का कहना है कि रमजान का मुबारक
महिना रोजेदारों को यह संदेश देता है कि हक की राह पर चलो। रोजा रखने से
रोजेदारों में सब्र रखने की भावना पैदा होती है। रमजान के माह में जो सीख
दी जाती है, उसका पालन बचे हुए 11 महीनों में भी समुदाय के लोगों को करना
चाहिए। रोजा मात्र खाली पेट रहने का नाम नहीं है, अपितु इससे बुरा न
देखना, बुरा न सुनना, बुरा न सोचना, बुरा न बोलना तथा किसी का बुरा न
करने का एहसास भी होता है। उनका कहना है कि इस पाक महीने में समुदाय के
लोगों को स्वयं को बेहतर साबित करना चाहिए और समाज व इंसानियत की बेहतरी
के लिए भी कार्य करना चाहिए। रमजान से जुड़े नियमों का पालन करना चाहिए।
बुरी आदतों से हमेशा ही दूर रहना चाहिए लेकिन इस पाक महीने में बुरी
आदतों और लत से दूर रहने की सख्त हिदायत है। उनका कहना है कि रोजे के
दौरान अगर कोई रोजेदार झूठ बोलता है, पीठ पीछे किसी की बुराई करता है या
किसी की झूठी कसम खाता है तो उसका रोजा टूटा हुआ माना जाता है। रोजेदार
को इस माह में जरुरतमंद व गरीब लोगों को जकात देनी चाहिए। उनका ख्याल
रखना चाहिए कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं है।

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