गुडग़ांव। नवरात्र-पूजन के चौथे दिन शनिवार को मां कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की गई। शहर के विभिन्न क्षेत्रों स्थित मंदिरों भूतेश्वर मंदिर, घंटेश्वर, सिद्धेश्वर, प्रेम मंदिर, सुदर्शन मंदिर, सेक्टर-4 स्थित श्रीकृष्ण व राम मंदिर, सूर्य विहार के श्री वैष्णो देवी मंदिर तथा शीतला माता मंदिर में मां कूष्मांडा की उपासना की गई। धार्मिक गं्रथों में उल्लेख है कि चौथे नवरात्रे में साधक का मन अदाहत चक्र में अवस्थित होता है। इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और चंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
अत: ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां का वाहन सिंह है। मां कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-दोष मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्माण्डा अत्यंत सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। प्रात: से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। मंदिरों में हवन-यज्ञ का आयोजन भी किया गया। शीतला माता मंदिर में दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की कतारें लगी हुई देखी गई। श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन कर जहां अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मन्नतें मांगीं, वहीं आवश्यक धार्मिक अनुष्ठान भी कराए। श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर स्थित दुकानों से खरीददारी भी की।
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