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चौथे चरण के लॉकडाउन का पहला दिन औद्योगिक गतिविधियां आने लगी हैं पटरी पर मारुति सुजूकी के गुडग़ांव प्लांट में वाहनों का उत्पादन हुआ शुरु ज्वाईंट वैंचर्स में भी उत्पादन पकडऩे लगा है गति कोरोना पॉजिटिव की संख्या में वृद्धि से प्रशासन व आमजन है चिंतित

गुडग़ांव, कोरोना वायरस से निपटने के लिए लोग घरों में रहकर
जिला प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं, ताकि वे इस
महामारी से बच सकें। सरकार ने चौथे चरण के लॉकडाउन की घोषणा आगामी 31 मई
तक कर दी है। केंद्र सरकार ने प्रदेश की सरकारों पर छोड़ दिया है कि वे
अपने यहां लॉकडाउन के दौरान लोगों को कितनी राहत देते हैं। चौथे चरण के
लॉकडाउन के पहले दिन गत दिनों की तरह ही सडक़ों पर लोगों का आवागमन जारी
रहा। जरुरी काम से लोग अपने वाहनों में सवार होकर सडक़ों पर नजर आए। शहर
के मुख्य सदर बाजार में भी लोगों का आवागमन दिखाई दिया। लोग अपनी जरुरत
का सामान खरीदते दिखाई दिए। कोरोना पॉजिटिवों की संख्या में वृद्धि से
जिला प्रशासन व आम जन चिंतित दिखाई दे रहा है। जिला प्रशासन ने चौथे चरण
के लॉकडाउन के लिए किन्हीं विशेष राहतों की घोषणा फिलहाल नहीं की है।
पूर्व की भांति प्रशासन द्वारा घोषित दिशा-निर्देशों के अनुसार दुकानें
खुली। उधर गुडग़ांव स्थित मारुति सुजूकी के प्लांट में भी सोमवार से
वाहनों का उत्पादन शुरु हो चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 2
माह बंद हुए प्लांट में पहले ही दिन सोमवार को 20-25 गाडिय़ों का उत्पादन
हुआ। जरनल शिफ्ट में ही कर्मचारियों को उत्पादन करने के लिए बुलाया गया
था। सोमवार को करीब 4 हजार कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर पहुंचे और उन्होंने
उत्पादन में अपना योगदान दिया। वाहनों के उत्पादन का सिलसिला आगे भी जारी
रहेगा। प्रबंधन का मानना है कि धीरे-धीरे वाहनों के उत्पादन में वृद्धि
होगी और कुछ समय बाद उत्पादन अपनी पटरी पर आ जाएगा। मारुति से जुड़े
ज्वाईंट वेचर्स में भी उत्पादन धीरे-धीरे शुरु हो गया है। ज्वाईंट
वेंचर्स का कहना है कि मारुति प्रबंधन द्वारा जिन कलपुर्जों की आवश्यकता
के आदेश दिए जाएंगे, उनका उत्पादन शुरु कर मारुति को उपलब्ध करा दिए
जाएंगे। जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान उद्योग धंधे अब पटरी
पर आने शुरु हो जाएंगे। हालांकि उद्योग विहार स्थित प्रतिष्ठानों में
श्रमिकों कमी बनी हुई है, इसलिए उत्पादन शुरु नहीं हो पा रहा है। माना जा
रहा है कि गुडग़ांव दिल्ली सीमाओं के सील हो जाने के कारण दिल्ली से
उद्योग विहार श्रमिक नहीं आ पा रहे हैं। उन्हें सीमाओं पर रोका जा रहा
है। 80 प्रतिशत मजदूर दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से उद्योग विहार आते
हैं।

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