गुडग़ांव, पूरा देश ही नहीं, अपितु पूरा विश्व कोरोना
वायरस के प्रकोप का सामना कर रहा है। हमारे देशवासी भी पूरी हिम्मत के
साथ इस महामारी का सामना करने के प्रयास में जुटे हैं और वे सरकार व जिला
प्रशासन के आदेशों का पालन कर इस महामारी को मात देने में जुटे हैं।
सरकार द्वारा घोषित किए गए लॉकडाउन का पूरे देशवासियों ने पूरे मन से
पालन भी किया है। लॉकडाउन काल ने सिद्ध कर दिया है कि भारतीय संस्कृति ही
विश्व में सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है। यह कहना है बसई रोड स्थित पर्णकुटि
आश्रम के प्रमुख व उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के स्वामी विनीतगिरि महाराज
का। उनका कहना है कि प्राचीन काल में सनातन संस्कृति में लोग हाथ-पैर
धोकर ही घरों में प्रवेश करते थे। दोनों हाथ जोडक़र सभी का अभिवादन भी
किया जाता था। बैठकों आदि में भी शारीरिक दूरी बनाकर बैठा जाता था।
कोरोना से बचाव के लिए भी प्राचीन सनातन संस्कृति को अपनाया गया है। उनका
कहना है कि अब कोरोना ने हमें बता दिया है कि हमारी संस्कृति कितनी सही
थी। कोरोना ने हमें एकांत का अवसर दिया है। आद्यात्म में एकांत का बड़ा
महत्व है। महाराज जी का कहना है कि एकांत में ध्यान लगाएं, अष्टांग योग
अपनाएं, चिंतन-मनन व अध्ययन करें तो इस कोरोना वायरस से छुटकारा पाया जा
सकता है। आयुर्वेदिक पदार्थों के सेवन से शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती
है, जो कोरोना से लडऩे के लिए बहुत जरुरी है। उन्होंने महाभारत का प्रसंग
का उल्लेख करते हुए कहा कि महाभारत से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन
को भगवान शिव की पूजा का आदेश दिया था, ताकि उनकी एकाग्रता बढ़ सके।
एकाग्रता एकांत में अधिक संभव है। उन्होंने देशवासियों से भी आग्रह किया
है कि वे कोरोनो से घबराएं नहीं, देशवासी बड़े ही हिम्मत वाले हैं। देश
में इस प्रकार की आपदा के अनेक अवसर आए हैं, जिनका देशवासियों ने पूरी
ताकत के साथ सामना भी किया है। कोरोना भी जल्दी ही देश से चला जाएगा और
उसके बाद देश और अधिक मजबूत होकर उभरेगा।
Comment here