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कोरोना वायरस प्रकोप के चलते इस बार श्रद्धालु नहीं ला सकेंगे कावड़

गुडग़ांव, वैश्विक कोरेाना वायरस महामारी ने हर क्षेत्र को
प्रभावित कर रख दिया है। भगवान शिव को समर्पित कावड़ का पर्व भी कोरोना
से अछूता नहीं रहा है। देश के विभिन्न प्रदेशों में कोरोना से बचाव के
लिए सार्वजनिक सेवाएं बाधित हैं। जुलाई माह में शुरु हो जाने वाला कावड़
पर्व की तैयारियां भगवान शिव को समर्पित श्रद्धालु पहले से ही करना शुरु
कर देते हैं। लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार व ऋषिकेश से गंगाजल
लेकर कावड़ के रुप में आते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यूपी,
हरियाणा, राजस्थान व आस-पास के प्रदेशों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु
कावड़ लाते हैं, जिनमें महिलाओं व बच्चों की संख्या भी अच्छी-खासी होती
है। श्रावण मास की शिवरात्रि पर श्रद्धालु अपने-अपने क्षेत्रों स्थित
मंदिरों में कावड़ को चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना करते रहे हैं। आस्था
के प्रतीक कावड़ का यह पर्व इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते नहीं
आयोजित किया जा सकेगा। कावड को लेकर गत सप्ताह उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश व
हरियाणा सरकारों के बीच वार्तालाप भी हुई है, जिसमें तीनों प्रदेशों की
सरकारों ने कावड़ के पर्व की व्यवस्था करने में कोरोना वायरस के चलते
असमर्थता प्रकट की है। यानि कि इस बार श्रद्धालु कावड़ नहीं ला सकेंगे।
गौरतलब है कि हरियाणा विशेषकर गुडग़ांव व आस-पास के क्षेत्रों से हजारों
की संख्या में श्रद्धालु प्रतिवर्ष कावड़ लाने के लिए हरिद्वार व ऋषिकेश
जाते रहे हैं। इन श्रद्धालुओं को कावड़ यात्रा में सहयोग देने के लिए
अनेकों सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं भी तत्पर रहती हैं। मोबाइल वैन
डिस्पेंसरी व कावड़ शिविरों की व्यवस्था भी बड़े स्तरों पर की जाती रही
हैं। जिला प्रशासन को भी कावडिय़ों की सुरक्षा को देखते हुए राष्ट्रीय
राजमार्ग से गुजरने पर पूरा यातायात प्लान बनाया जाता रहा है, लेकिन इस
बार ऐसा नहीं होगा। जिसको लेकर श्रद्धालु असमंजस में हैं, लेकिन कोरोना
प्रकोप को देखते हुए यह सब नियंत्रण से बाहर है। इस पर किसी का भी जोर
नहीं हैं।

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