गुडग़ांव, कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना कर रहे
छात्रों को आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ला ट्रोब ने छात्रों को राहत देते
हुए 12 मिलियन (60 करोड़) रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। यह
मदद सामान्य स्कॉलरशिप और सहयोग के अतिरिक्त है। यूनिवर्सिटी के वाइस
चांसलर और प्रैसिडेंट प्रो. जान डेवर ए ओ के अनुसार यूनिवर्सिटी की मुख्य
प्राथमिकता अपने शिक्षकों, कर्मचारियों और भागीदारों की सुरक्षा
सुनिश्चित करते हुए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना है। कोरोना वायरस का
शिक्षा आपूर्ति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके दुष्परिणामों को लेकर
अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। सभी छात्रों को इस लॉकडाउन अवधि में
ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि छात्रों से संपर्क बना रहे और
वे नियमित रुप से शिक्षा ग्रहण करते हुए ऑनलाइन बने रहें। विभिन्न विषयों
में ऑनलाइन प्रवेश की अनुमति भी दी गई है। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी
के बाकी भागीदारों के साथ मिलकर छात्रों के हित में कदम उठाने की बात भी
कही है।
च की दूरी कम होती है। अल्लाह के प्रति विश्वास
पक्का होता है। रमजान का माह एकता और सहनशीलता की पे्ररणा देता है। उनका
कहना है कि रमजान के माह में रोजेदार को गलत आदतों से दूर रहना चाहिए।
गलत देखने, सुनने और बोलने तक मनाही होती है। रोजेदार को लड़ाई-झगड़ों से
दूर रहना चाहिए, नेकी का रास्ता अपनाना चाहिए। रोजे रखने का असल मकसद महज
भूख-प्यास पर नियंत्रण रखना नहीं है बल्कि रोजे की रूह दरअसल आत्म संयम,
नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प और उस पर
मुस्तैदी से अमल में बसती है। उनका कहना है कि रमजान की तैयारियों के लिए
जामा मस्जिद पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने जिला प्रशासन से भी आग्रह
किया है कि रमजान के दिनों में बिजली और पेयजल की पूरी व्यवस्था की जाए।
क्योंकि इनके बिना रोजेदारों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
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