गुडग़ांव,
कोरोना वायरस से बचाव के लिए काफी समय तक देश के
सभी प्रदेशों में लॉकडाउन लागू रहा। इन लॉकडाउन ने
देशवासियों को यह आभास
करा दिया कि सबकुछ उनके नियंत्रण में नहीं है। प्रकृति
भी बहुत कुछ है,
जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती। लॉकडाउन के दौरान लोगों
में काफी बदलाव भी
देखे गए। इस कोरोना वायरस ने लोगों को शाकाहारी बनाकर
रख दिया। लोगों का
ध्यान सब्जियों, दाल व फलों पर अधिक रहा, जिससे वे
नॉनवेज को एक तरह से
भूल ही गए। उनकी समझ में यह भी आ गया कि शरीर को हरी
सब्जियों दाल व फलों
से भी स्वस्थ रखा जा सकता है। चीन के वुहान शहर से
कोरोना वायरस की
शुरुआत हुई बताई जाती है। चीन में ऐसे कई बाजार हैं,
जहां लोग अक्सर
नॉनवेज व मीट आदि खरीदने के लिए जाते हैं। भारतवासियों
के दिमाग मे भी
यही बात बैठ गई कि कोरोना वायरस मीट आदि से ही होता
है। हालांकि इस बारे
में कोई पुख्ता वैज्ञानिक शोध नहीं है, लेकिन लोग भारतवासी
नॉनवेज खाने
से बच रहे हैं। नॉनवेज की ऑनलाइन डिलीवरी भी प्रभावित
हुई है और मीट के
कारोबार में भी काफी कमी देखी जा रही है। अनलॉक वन
के बाद मीट शॉप खुल गई
हैं, लेकिन इन शॉप पर खरीददारों की संख्या पहले की
अपेक्षा बहुत ही कम
दिखाई दे रही है। लक्ष्मण विहार के भूपेंद्र यादव व
नरेंद्र का कहना है
कि वे पहले कभी-कभी नॉनवेज का इस्तेमाल कर लेते थे,
लेकिन कोरोना के इस
दौर में उन्होंने नॉनवेज को पूरी तरह से छोड़ दिया
है। कोरोना वायरस के
बढ़ते मामलों को देखते हुए अब खुद ही नॉनवेज का इस्तेमाल
करने की इच्छा
खत्म ही हो गई है। उनका कहना है कि वे अब शाकाहारी
ही रहेंगे। इसी प्रकार
का कहना है सैक्टर 4 के अनिल व देवेंद्र का। ये भी
पहले नॉनवेज का
इस्तेमाल करते थे, लेकिन कोरोना के चलते हुए नॉनवेज
का इस्तेमाल करना
उन्होंने भी बंद कर दिया है। उधर शॉप मीट की आपूर्ति
करने वाले
दुकानदारों का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते उनका
कारोबार सिमट कर रह
गया है। अब यह कारोबार मात्र 35-40 प्रतिशत ही रह गया
है। मीट शॉप पर आने
वाले लोगों की संख्या भी पहले की अपेक्षा बहुत कम हो
गई है। लोग कोरोना
वायरस के डर के कारण नॉनवेज कम ही खरीद रहे हैं। उनका
कहना है कि मीट का
कारोबार बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। नॉनवेज की ऑनलाइन
डिलीवरी में भी
काफी कमी आई है। रेस्टोरेंट के संचालकों का भी कहना
है कि ऑनलाइन डिलीवरी
शाकाहारी फूड की ही हो पा रही है। नॉनवेज डिलीवरी तो
मात्र 5 से 10
प्रतिशत ही रह गई है।
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