गुरुग्राम, कोरेाना महामारी काल के दौरान सडक़ों पर
वाहनों का दबाव काफी कम हो गया है। इससे सडक़ दुर्घटनाओं में भी काफी कमी
आई है। कोरोना महामारी से पूर्व सडक़ दुर्घटनाएं आए दिन बड़ी संख्या में
होती रहती थी। सडक़ दुर्घटनाएं कम होने से अमूल्य जिंदगियां भी बच रही
हैं। यातायात पुलिस भी विशेष सक्रिय होती दिखाई दे रही है। शहर के
विभिन्न स्थानों पर जहां दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं बनी रहती हैं,
वहां पर भी यातायात पुलिस ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। दुर्घटना होते ही
यातायात पुलिस पूरी जांच करती है। साईबर सिटी में कोरोना से पूर्व सडक़
दुर्घटनाओं की संख्या बहुत अधिक होती थी। यदि पिछले 7 माह का गत वर्ष से
तुलना की जाए तो इस दौरान सडक़ दुर्घटनाएं बहुत कम हुई हैं। प्राप्त
जानकारी के अनुसार गत वर्ष जनवरी माह में सडक़ दुर्घटना के 122 हादसे हुए
थे, जबकि इस वर्ष केवल 85 हादसे ही हुए। जनवरी माह में ही जहां गत वर्ष
50 मौतें हुई थी, इस बार 45 ही हुई हैं। गत वर्ष फरवरी माह में 95 सडक़
हादसे हुए और इस वर्ष फरवरी माह में 88 सडक़ दुर्घटनाएं हुई। गत वर्ष
मार्च माह में 101 सडक़ हादसे हुए जबकि इस वर्ष 70 सडक़ दुर्घटनाएं हुई। गत
वर्ष अप्रैल माह में 96 सडक़ सडक़ दुर्घटनाएं हुई और इस वर्ष अप्रैल माह
में मात्र 15 सडक़ दुर्घटना हुई। गत वर्ष मई माह में जहां 107 सडक़ हादसे
हुए थे, वहीं इस वर्ष 29 सडक़ दुर्घटनाएं हुई। इसी प्रकार गत वर्ष जून माह
में 106 और इस वर्ष 56 सडक़ दुर्घटनाएं हुई। गत वर्ष जुलाई माह में 111
सडक़ हादसे हुए थे और इस वर्ष मात्र 74 हादसे हुए। इससे स्पष्ट हो जाता है
कि कोरोना काल में सडक़ों पर वाहनों का दबाव काफी कम हो गया। इसी के कारण
सडक़ दुर्घटनाओं में काफी कम आई है। अधिकांश सडक़ दुर्घटनाएं दिल्ली-जयपुर
राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही होती हैं। जिसका मुख्य कारण वाहनों की तेज
रफ्तार बताया जाता रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पार करने वाले पैदल यात्री
भी तेज गति के वाहनों की चपेट में आकर अपनी अमूल्य जिंदगी खो बैठते हैं।
यातायात पुलिस को वाहनों की गति पर अंकुश लगाना होगा, तभी बढ़ते सडक़
हादसों को रोका जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर फ्लाईओवर, अंडरपास व
फुटओवर ब्रिज बनाए जाने की भी जरुरत है। हालांकि कोरोना महामारी का सामना
करते हुए सभी प्रतिष्ठान खोल दिए गए हैं
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