गुडग़ांव, कोरोना महामारी के दुष्प्रभाव से कोई भी नहीं बच
पाया है। गत डेढ़ वर्ष से चली आ रही इस महामारी ने जहां असंख्य लोगों की
जिंदगी छीन ली, रोजगार छीन लिया, आर्थिक व्यवस्था भी पटरी से उतर गई तथा
कई बड़े-छोटे प्रतिष्ठान भी बंद हो गए, वहीं विभिन्न प्रकार की बीमारियां
भी कोरोना महामारी के कारण हुई और उनका खामियाजा देशवासियों को भुगतना
पड़ा। कोरोना के कारण ही युवाओं को अनिद्रा का सामना भी करना पड़ा। यानि
कि बड़ी संख्या में युवाओं को नींद न आने की समस्या से भी जूझना पड़ रहा
है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास बड़ी संख्या में युवा आ
रहे हैं और बता रहे हैं कि उन्हें सही ढंग से नींद नहीं आती। तनाव व
घबराहट की स्थिति ने उन्हें परेशान कर रखा है। जानकारों का मानना है कि
कोरोना महामारी काल में लोग कोरोनासेमिया से गुजर रहे हैं, जिसमें नींद
लगातार बिगड़ती जा रही है और इसका शिकार अधिकांश रुप में युवा वर्ग हो
रहा है। मनोवैज्ञानिक भी इसकी पुष्टी कर रहे हैं कि महामारी के कारण खराब
नींद से गुजर रहे लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। उनका ये भी कहना है कि
कुछ लोग नींद की गुणवता में बिगाड़ आने की बात भी कह रहे हैं। भले ही
कोरोना संक्रमण कम हो रहा हो, लेकिन युवा वर्ग में दूसरी लहर के बाद
घबराहट व तनाव की स्थिति अधिक देखी जा रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का
मानना है कि यदि नींद पूरी नहीं होती तो तनाव बने रहना स्वभाविक है। उनका
कहना है कि जब भी रात में सोने के लिए जाएं और करीब 25 मिनट तक नींद न आए
या नींद टूटने के बाद दोबारा नहीं सो पाएं तो बिस्तर से उठ जाएं और कोई न
कोई गतिविधि करने लगें, ताकि दिमाग को शांति मिल सके। इस प्रकार की
गतिविधियां ध्यान, प्राणायाम से लेकर संगीत सुनने, किताब पढऩे आदि जैसी
हो सकती हैं। जब इन सबसे थोड़ी थकान महसूस हो तो बिस्तर पर सोने के लिए आ
जाएं, ऐसे में अच्छी नींद आएगी। उनका यह भी कहना है कि कोरोना को लेकर
दिल में भय न बैठाएं। चिंता करने से कोई फायदा नहीं होने वाला। यानि कि
चिंता छोड़ देनी चाहिए। चिंता भी अनिद्रा का एक मुख्य कारण है। सोने और
जागने का समय निर्धारित करना चाहिए। प्रात: उठकर सूर्य की रोशनी देखनी
चाहिए, ताकि पूरा दिन अच्छा गुजर सके। उनका ये भी कहना है कि इस समय
अधिकांश लोग वर्क फ्रोम होम कर रहे हैं और उन्होंने अपने बैड को भी
कामकाज की जगह बना लिया है। दिनभर वहां कंपयूटर, डायरी आदि का जमावडा़
रहता है। इससे रात्रि में उसी बिस्तर पर सोने पर वह मानसिक सुकून नहीं
मिलेगा, जो मिलना चाहिए। नियमित रुप से हल्का-फुल्का व्यायाम भी बहुत
जरुरी है।
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