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कोरोना काल में स्कूल पड़े हैं बंद,

गुरुग्राम, केंद्र सरकार ने बच्चों को  कुपोषण से बचाने के
लिए कई योजनाएं चलाई हुई हैं। इन योजनाओं का उपयोग सभी प्रदेशों के गरीब
तबके के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए किया जा रहा है। इन्हीं में से
एक महत्वाकांक्षी योजना मिड डे मील भी है। इस योजना को शुरु करने का
उद्देश्य था कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छोटी आयु के
बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जाए। क्योंकि कुपोषित, अविकसित और
कमजोर व्यक्ति समाज में पीछे छूट जाते हैं तथा राष्ट्र निर्माण में उनका
बहुत कम या कोई भी योगदान नहीं होता। मिड डे मील योजना एक ऐसा कार्यक्रम
में हो सदैव से ही नकारात्मक खबरों के चलते चर्चा में रहा है। इस योजना
में देश के विभिन्न प्रदेशों में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी आती रही हैं।
कहीं बच्चों को नियमित रुप से भोजन न देने और भोजन की गिरती हुई गुणवता
भी शामिल रही हैं। हालांकि केंद्र व प्रदेश सरकारों ने इस योजना को
भलीभांति क्रियान्वित करने के आदेश जिला प्रशासन को भी दिए हुए हैं।
पिछले करीब डेढ़ वर्ष से कोरोना महामारी चल रही है, जिसके कारण कुछ माह
को छोडक़र स्कूल बंद ही रहे हैं। जो थोड़े बहुत दिन स्कूल खुले भी थे,
वहां पर छात्रों को मिड डे मील कोरोना के कारण नहीं दिया जा सका। अब
केंद्र सरकार ने मिड डे मील योजना को भ्रष्टाचार मुक्त करने की एक बड़ी
पहल की है, जिसकी सर्वत्र सराहना भी की जा रही है। सरकार का मानना है कि
बच्चों के पोषण स्तर को सुरक्षित रखने के लिए मिड डे मील योजना जो एक साल
से ठप्प पड़ी है, इस योजना के पात्र सभी बच्चों के खाने की लागत के बराबर
पैसा उनके खातों में भेजा जाएगा। जानकारों का कहना है कि सरकार के इस
निर्णय से देश के 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में
पहली से 8वीं कक्षा तक में पढऩे वाले करीब 11.8 करोड़ छात्र लाभान्वित
होंगे। जानकारों का कहना है कि इसके लिए सरकार ने 1200 करोड़ रुपए का
अतिरिक्त फंड जारी करने की बात भी कही है। सरकार के इस निर्णय से इस
योजना को बड़ी गति मिलेगी। उनका यह भी मानना है कि सीधे तौर पर छात्रों
के खाते में पैसा जमा होने से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, अपितु
बच्चों के पोषण में भी आशातीत सुधार होगा। मिड डे मील योजना को लेकर जहां
भ्रष्टाचार की शिकायतें आती रही हैं, वहीं विद्यालयों में स्वच्छता के
साथ भोजन तैयार करना और बच्चों को सुरक्षित खाना परोसना भी विद्यालयों के
लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। ऐसे में सीधे उनके खाते में मिड डे मील की
रकम जाने से इन सभी झंझटों से बच्चों को छुटकारा भी मिल जाएगा।

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