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कंपनी प्रबंधनों की श्रमिक विरोधी नीतियों को लेकर श्रमिक यूनियनों ने राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

गुडग़ांव, औद्योगिक क्षेत्रों स्थित कुछ प्रतिष्ठानों की
प्रबंधनों द्वारा कोरोना महामारी के चलते बड़े स्तर पर स्थायी व अस्थायी
श्रमिकों को नौकरी से निकाला जा रहा है। प्रबंधन श्रम कानूनों मे आए
बदलाव की आड़ में ही श्रमिक विरोधी कार्यवाही कर रही है, जिससे श्रमिकों
में रोष व्याप्त होता जा रहा है। आईएमटी मानेसर स्थित बेलसोनिका श्रमिक
यूनियन ने भी प्रबंधन पर आरोप लगाए हैं कि प्रबंधन कोरोना महामारी व श्रम
कानूनों में हुए संशोधनों की आड़ में श्रमिक यूनियन से मुक्ति पाने की
तलाश में है। बेलसोनिका के जसबीर सिंह का कहना है कि कोरोना महामारी के
दौरान ही प्रबंधन ने गत मई माह में 300 ठेका मजदूरों को नौकरी से निकाल
दिया था। करीब 165 अस्थायी मजदूरों को जून माह का वेतन तक भी नहीं दिया
गया। उनका कहना है कि प्रबंधन द्वारा करीब 240 स्थायी मजदूरों के वेतन
में गैर कानूनी वेतन कटौती की गई है। श्रमिकों का सामूहिक मांग पत्र भी
एक लंबे समय से लंबित पड़ा हुआ है। प्रबंधन उसका भी निपटारा नहीं कर रही
है। इनर सभी मांगों को लेकर बेलसोनिका यूनियन ने विभिन्न श्रमिक संगठनों
के प्रतिनिधियों एटक के अनिल पंवार, एचएमएस के जसपाल राणा, सीटू के
कंवरपाल आदि को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को ज्ञापन भी
सौंपा और मांग की गई कि उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण की पूंजीपरस्त
नीतियों को रद्द किया जाए और विभिन्न कंपनी प्रबंधनों द्वारा श्रमिक
विरोधी नीतियों पर रोक लगाई जाए।

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