गुडग़ांव, जिले के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों स्थित
अधिकांश प्रतिष्ठानों में श्रमिक अशांति व्याप्त होने की आंशका बनती जा
रही है। श्रमिक संगठन समय-समय पर कंपनी प्रबंधनों पर आरोप लगाते रहे हैं
कि प्रबंधन श्रम कानूनों का उल्लंघन कर श्रमिकों का शोषण करने में कोई
कोर-कसर बाकी नहीं रख रही है। श्रम विभाग भी उन पर नियंत्रण नहीं लगा पा
रहा है। कई प्रतिष्ठानों में श्रमिक विवाद चल रहे हैं। सामूहिक मांगपत्र
भी लंबित पड़े हुए हैं। प्रबंधन उनका निपटारा करना ही नहीं चाहती। श्रमिक
संगठन एटक के जिला महासचिव कामरेड अनिल पंवार का कहना है कि पीडि़त
श्रमिक यूनियनों ने एक दूसरे के सहयोग से बड़ा आंदोलन करने का मन बना
लिया है। श्रमिक संगठन जिला प्रशासन को समय-समय पर धरना प्रदर्शन कर
ज्ञापन भी दे चुके हैं, जिनमें मांग भी की जाती रही है कि प्रबंधनों की
दमननीति रुकवाई जाए और श्रमिकों को न्याय दिलाया जाए। लेकिन आज तक समस्या
का समाधान नहीं हो सका है। उनका कहना है कि प्रशासन सिर्फ आश्वासन ही दे
रहा है। उन्होंने बताया कि मुंजाल शोवा की तीनों यूनिटों के श्रमिकों ने
कंपनी प्रबंधन के खिलाफ सामूहिक रुप से आंदोलन करने का निर्णय भी लिया
है। उनका कहना है कि आज मुंजाल शोवा के श्रमिक प्रदर्शन कर उपायुक्त को
ज्ञापन भी देंगे। इसी प्रकार नपीनो ऑटो श्रमिक यूनियनों के श्रमिक भी
मिनी सचिवालय पर धरना देकर उपायुक्त को ज्ञापन भी सौपेंगे। इन
प्रतिष्ठानों के श्रमिकों के सामूहिक मांगपत्र पिछले 2 साल से अधिक समय
से लंबित पड़े हुए हैं। प्रबंधन अपनी मनमर्जी से श्रमिकों को नौकरी से
निकाल रही है। उनका कहना है कि एमके ऑटो, हेमा इंजीनियरिंग, परफेटी,
मेट्रो आर्टम, बेलस्पून, आरकोटेक, रिको ऑटो, एसआरएस आदि प्रतिष्ठानों में
भी पिछले काफी समय से श्रमिक विवाद चले आ रहे हैं, लेकिन इनका भी आज तक
कोई समाधान नहीं हो पाया है। जिससे श्रमिकों में जबरदस्त रोष व्याप्त
होता जा रहा है। श्रमिक नेताओं सुभाष मलिक, श्यामलाल, सुरेंद्र जांगड़ा,
सतीश धानिया, नरेश कुमार, परशुराम, राजबहादुर, बलवीर कंबोज, सतीश गुर्जर
आदि का कहना है कि अब अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई शुरु करनी ही
पड़ेगी।
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