गुडग़ांव, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा
(एलएसी) पर गत 5 हफ्तों से जारी तनातनी ने हिंसक रुप ले लिया। गत सोमवार
की रात्रि में गलवान घाटी में भारत और चीन दोनों देशों के सैनिकों के बीच
हुई हिंसक झड़प में भारत के एक कर्नल सहित 20 जवान शहीद हो गए। एलएसी पर
45 साल बाद ऐसी घटना हुई बताई जाती है। इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित
करने के लिए राजेंद्रा पार्क क्षेत्र में समाजसेवियों ने मोमबत्ती जलाकर
अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। समाजसेवी राजेश पटेल का कहना है कि
श्रद्धांजलि सभा में मास्क लगाकर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए
क्षेत्रवासियों ने शहीदों को नमन किया और केंद्र सरकार से मांग की कि चीनa
को उसी की भाषा में सबक सिखा दिया जाए। चीन ने हमेशा दोगली नीति ही अपनाई
है। उस पर किसी भी सूरत में विश्वास नहीं किया जा सकता। वर्ष 1962 में भी
चीन ने भारत को धोखा देकर भारत पर युद्ध थोप दिया था। समाजसेवियों का
कहना है कि सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए। सरकार को विदेश नीति
चीन के प्रति अपनानी चाहिए। चीन के कारण ही कोरेाना वायरस का दंश पूरा
विश्व भुगत रहा है। सरकार को चाहिए कि चीन अपना फन उठाए, उससे पहले ही
उसे कुचल दिया जाना चाहिए। समाजसेवियों में चीन के प्रति जबरदस्त आक्रोश
देखा गया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा की
सुरक्षा करते हुए चीन को सबक सिखाया जाए। श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों
में क्षेत्र के राजन, विवेक, राहुल, संदीप, रवि, विशाल, गौरव, रणजीत,
राजू, रामसिंह आदि शामिल रहे।
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