गुडग़ांव, वैश्विक कोरोना वायरस के प्रकोप से लोगों को
बचाने के लिए पिछले करीब 2 माह से लॉकडाउन चल रहा है। मार्च और अप्रैल के
माह में सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार
ने आदेश जारी किए हुए हैं कि लॉकडाउन की अवधि का सभी प्रतिष्ठान
अपने-अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करेंगे। उद्यमियों के संगठन
सरकार से मांग करते आ रहे हैं कि आर्थिक मंदी के चलते व लॉकडाउन हो जाने
के कारण प्रतिष्ठानों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे लॉकडाउन की
अवधि का वेतन अपने कर्मचारियों को दे सकें, इसके लिए उन्होंने आर्थिक
पैकेज की मांग सरकार से की थी। जब सरकार ने उनकी इस मांग पर कोई ध्यान
नहीं दिया तो एनसीआर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने सर्वोच्च न्यायालय
याचिका दायर कर गुहार लगाई कि उन्हें आर्थिक राहत दी जाए। एनसीआर चैंबर
के अध्यक्ष एचपी यादव का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका पर
सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। अब इस मामले में
अगली सुनवाई 22 मई को होगी। उनका कहना है कि वह केंद्र व प्रदेश सरकार से
मांग करते आ रहे हैं कि एमएसएमई कंपनियों को आर्थिक मदद दी जाए। लॉकडाउन
की अवधि का वेतन श्रमिकों को केंद्र सरकार की ओर से दिया जाना चाहिए।
क्योंकि अधिकांश एमएसएमई इकाईयों की हालत बदहाल है, लेकिन सरकार ने अब तक
कोई भी सकारात्मक कदम इस दिशा में नहीं उठाया है और उल्टे कंपनी
प्रबंधकों पर लॉकडाउन की अवधि के वेतन श्रमिकों को देने का दबाव बनाया जा
रहा है। उनका कहना है कि याचिका में मांग की गई है कि लॉकडाउन की अवधि के
लिए श्रमिकों व मजदूरों को पूरा वेतन देने संबंधी केंद्र व प्रदेश सरकार
के आदेशों को रद्द किया जाए। याचिका में एमएसएमई सैक्टर के लिए केंद्र
सरकार ने जो आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, उसको ब्याज रहित बनाया जाए।
उनका कहना है कि सभी उद्यमियों की नजर अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर
टिकी है कि उन्हें देश की सबसे बड़ी अदालत से क्या राहत मिलती है।
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