गुडग़ांव, कोरेाना वायरस के प्रकोप से देशवासियों को
बचाने के लिए लॉकडाउन चल रहा है, जिसके कारण सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद
पड़े हैं और इन प्रतिष्ठानों को भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा
है। उद्यमी केंद्र सरकार से आर्थिक पैकेज देने की मांग करते आ रहे हैं,
लेकिन केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। उद्यमियों का
प्रतिनिधित्व करने वाली एनसीआर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष
एचपी यादव का कहना है कि संस्था ने केंद्र सरकार से एमएसएमई सैक्टर के
लिए आर्थिक पैकेज की मांग की थी, लेकिन सरकार ने उनकी मांग पर अभी तक कोई
ध्यान नहीं दिया है। उनका कहना है कि देश में 64 लाख एमएसएमई इकाईयां
हैं। जो देश की जीडीपी में 28 प्रतिशत योगदान करती हैं। देश से होने वाले
निर्यात का 45 प्रतिशत केवल एमएसएमई सैक्टर की ओर से किया जाता है, जिससे
देश के लिए बड़े स्तर पर विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है। एमएसएमई सैक्टर
ही निजी क्षेत्र में करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैय्या कराता है।
उनका कहना है कि कोरोना से पूर्व यह क्षेत्र वैश्विक मंदी के कारण पहले
से ही नुकसान में था। अधिकतर उद्योग मंदी की कगार पर हैं। बड़े पैमाने पर
राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑर्डर कैंसिल हुए हैं। उद्यमी
लॉकडाउन के दौरान भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए
जिला प्रशासन को सहयोग कर रहे हैं। पीएम व सीएम रिलीफ फंड में भी
उद्यमियों ने सामथ्र्यनुसार योगदान दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से
आग्रह किया है कि उनकी मांग पर सकारात्मक विचार कर तत्काल विशेष आर्थिक
पैकेज की घोषणा की जाए, ताकि प्रवासी श्रमिकों का पलायन भी रोका जा सके।
अन्यथा वे अपने प्रदेशों की ओर पलायन कर जाएंगे और उद्योगों को कुशल
श्रमिकों से वंचित भी होना पड़ेगा।
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