गुडग़ांव, उद्यमियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन
कोरोना वायरस से उपजी परिस्थितियों में उद्यमियों को राहत देने की मांग
केंद्र सरकार से करते आ रहे थे, जिसे केंद्र सरकार ने कुछ हद तक मान भी
लिया है। एनसीआर चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एचपी यादव का
कहना है कि वह केंद्र सरकार से एमएसएमई सैक्टर के लिए आर्थिक पैकेज की
मांग कर रहे थे। केंद्रीय वित्तमंत्री ने इस सैक्टर के लिए जो आर्थिक
पैकेज की घोषणा की है, वह वास्तव में सराहनीय है। इससे निकट भविष्य में
अपने उत्पादक फिर से शुरु करने के लिए इस सैक्टर की कंपनियों को मदद
मिलेगी, लेकिन सरकार ने अप्रैल और मई माह के श्रमिकों के वेतन व मजदूरों
के भुगतान इस पैकेज में कोई प्रावधान नहीं किया है। एसोसिएशन आर्थिक मंदी
और लॉकडाउन के कारण विषम परिस्थितियों में जूझ रहे उद्योगों की यह प्रमुख
मांग थी, जिसके लिए केंद्र सरकार से कई बार आग्रह भी किया गया था। उनका
कहना है कि लॉकडाउन की अवधि का वेतन मजदूरों को देना उद्यमियों की हिम्मत
से बाहर है। इसके लिए सरकार को कुछ घोषणा अवश्य करनी चाहिए थी। यदि ऐसा
नहीं होता है तो श्रमिकों को काम पर बुलाना मुश्किल हो जाएगा।
उद्योग-धंधे बंद हो जाएंगे और बेरोजगारी चरम पर होगी। इसका सीधा असर
रोजगार, राजस्व, निर्यात और आपूर्ति व्यवस्था पर भी पड़ेगा। उनका कहना है
कि सरकार को इस दिशा में अवश्य ही सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने
यह मांग भी की है कि दिल्ली-एनसीआर के शहरों में बेरोकटोक आवाजाही होनी
चाहिए। दिल्ली सीमा से गुडग़ांव स्थित प्रतिष्ठानों में मजदूरों को नहीं
आने दिया जा रहा है, जिससे कंपनियां उत्पादन शुरु नहीं कर पा रही हैं।
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