गुडग़ांव, इस बार चीन से आयातीत राखियां शहर के मुख्य
बाजारों से पूरी तरह से गायब हैं। दुकानदार भी चीन निर्मित राखियों का
पूरी तरह से बहिष्कार कर चुके हैं। गलवान घाटी की घटना के बाद भारत और
चीन के रिश्तों में आई घटास को देखते हुए राखियों की बिक्री करने वाले
कारोबारियों ने चीन निर्मित राखियों की बिक्री पूरी तरह से ही बंद कर दी
थी। दिल्ली का सदर बाजार राखियों का थोक का बाजार माना जाता है। वहीं से
ही देश के विभिन्न प्रदेशों में राखी-खिलौने आदि की आपूर्ति की जाती है,
लेकिन भारत और चीन के बिगड़ते रिश्तों के बाद से कारोबारियों ने राखी में
इस्तेमाल होने वाली सामग्री का चीन से आयात करना बंद कर दिया था। शहर के
मुख्य सदर बाजार, हुडा मार्किट, शॉपिंग मॉल्स में स्वदेशी राखियों की
बिक्री ही हो रही है। बहनें अपने भाईयों की कलाई पर बांधने के लिए बड़ी
संख्या में स्वदेशी राखियां भी खरीदती दिखाई दे रही हैं। सभी बाजारों में
स्वदेशी राखियों की धूम मची है। हालांकि गत वर्ष की अपेक्षा राखी की
बिक्री कम ही हो रही है। इसका कारण कोरोना महामारी भी मानी जा रही है।
लॉकडाउन के दौरान कई लोगों की नौकरियां भी चली गई थी। उन्होंने भी अपने
घरों में ही राखियां बनाने का काम शुरु किया हुआ है। उनके द्वारा बनाई गई
राखियों की ऑनलाइन भी बिक्री हो रही है। कोरोना के कारण लोग बाजारों में
राखियां खरीदने से कतराते दिखाई दे रहे हैं।
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