गुडग़ांव, आज शुक्रवार को ज्येष्ठ अमावस्या है। आज ही वट
सावित्री व्रत और शनि जयंती दोनो ही हैं। धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या
और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इसदिन पूजा, जप-तप,
दान-पुण्य करने से श्रद्धालु को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन
पितरों को तर्पण करने का भी विधान है, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति
होती है। वट अमावस्या भी आज ही मनाई जाएगी। सुहागिनें अपने पति की
दीर्घायु के लिए व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इस व्रत को
सत्यवान सावित्री प्रसंग से भी जोड़ा हुआ है। सुहागिने यह व्रत प्राचीन
काल से ही रखती आ रही हैं। धार्मिक गं्रथों में उल्लेख है कि सावित्री ने
अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज तक को भी चुनौती दे
डाली थी। सावित्री सत्यवान को लेकर वट वृक्ष के नीचे बैठ गई थी। सावित्री
की पतिव्रता को देखते हुए यमराज को भी उसके पति सत्यवान के प्राण लौटाने
पड़े थे, जिस पर सत्यवान जीवित हो गए थे। तभी से सुहागिनें वट वृक्ष की
पूजा करती हैं और अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत भी रखती आ रही हैं।
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