गुरुग्राम। मां दुर्गा की उपासना नवशक्तियों का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है। आज मंगलवार को उपासक मां ब्रह्मचारिणी के स्वरुप की पूरे विधि विधान के अनुसार पूजा अर्चना करेंगे। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय एवं अत्यंत भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है। अपने पूर्वजन्म में जब ये राजा हिमालय के घर में पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी, तब नारद के कथन से इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी, एक हजार वर्ष उन्होंने केवल फल- फूल खाकर ही व्यतीत किए थे। हजारों वर्ष की कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया था, उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हा-हाकार मच गया था। देवता- ऋषि, सिद्धीगण और मुनि भी देवी की इस तपस्या की सराहना करने लगे थे। अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाश वाणी द्वारा कहा कि हे देवी, आज तक किसी ने भी ऐसी कठोर तपस्या नहीं की है। तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूरी होगी और भगवान चन्द्रमोली शंकर तुम्हे पति रूप में प्राप्त होंगे। इसलिए अब तुम तपस्या से विरक्त होकर घर लौट जाओ। मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप की आग, वैराग्य, सदाचार व संयम की वृद्धि होती है। मां की उपासना से कठिन संघर्षों में भी उपासकों का मन कत्र्तव्य पथ से विचलित नहीं होता। मां की कृपा से उपासकों को सर्वत्र सिद्धी और विजयी की प्राप्ति होती है।
आज उपासक करेंगे मां ब्रह्मचारिणी की उपासना
