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 आखिरकार..उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ क्यों नहीं हो रही है कार्यवाही : पंकज यादव

गुरुग्राम। अधिवक्ता व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी पंकज यादव ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आवास से जले हुए कैश मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज न होने पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि क्या कानून से ऊपर कोई नई श्रेणी बन गई है, जिसे जांच से छूट मिल गई है? इसी प्रकार की घटना यदि किसी आम व्यक्ति के घर होती तो अब तक कार्यवाही रॉकेट के जैसी हो रही होती। उनका कहना है कि इस मामले ने बड़ा ही तूल पकड़ा हुआ है। लेकिन कार्यवाही होती कहीं से भी नजर नहीं आ रही है। जांच करना कार्यपालिका का अधिकार है, न कि न्यायपालिका का। उनका कहना है कि न्यायपालिका राष्ट्रपति को फैसला लेने के लिए समयसीमा तय नहीं कर सकता। उनका कहना है कि राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और उनका कर्तव्य संविधान की रक्षा करना है। राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण और पालन की शपथ लेते हैं। बाकी सभी मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसद और जज भी संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं। पंकज यादव ने न्यायपालिका पर तीखा हमला करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को फैसले लेने के लिए समयसीमा तय नहीं कर सकता और न ही वह ‘सुपर संसद’ की भूमिका निभा सकता है। पंकज यादव ने कहा, संविधान का अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के पास 24×7 उपलब्ध एक ‘न्यूक्लियर मिसाइल’ बन गया है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही तमिलनाडु के राज्यपाल मामले में कहा था कि राष्ट्रपति को विधेयकों पर समयबद्ध निर्णय करना होगा।उन्होंने कहा, ‘हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम किस दिशा में जा रहे हैं? क्या अब राष्ट्रपति को समयसीमा में फैसला लेना होगा और अगर नहीं लिया तो वह कानून बन जाएगा? यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक स्थिति है।’ पंकज यादव ने कहा, ‘राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और उनका कर्तव्य संविधान की रक्षा करना है। राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण और पालन की शपथ लेते हैं। बाकी सभी मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसद और जज संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं।