NCRNewsUncategorizedअर्थव्यवस्थादेशबिज़नेसराजनीतिराज्य

अलविदा वर्ष 2025 पूरे साल ओद्यौगिक क्षेत्रों में छाए रहे श्रमिक विवाद

गुरुग्राम।वर्ष 2025 अलविदा होने जा रहा है और वर्ष 2026 के शुरु होने की प्रतिक्षा की जा रही है। गुडगांव ओद्यौगिक दृष्टि से प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का सबसे बड़ा क्षेत्र माना जाता है। विश्व में भी गुडगांव का सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक विशेष स्थान है। हजारों की संख्या में छोटे-बड़े उद्योग क्षेत्र के विभिन्न ओद्यौगिक क्षेत्रों उद्योग विहार, आईडीसी, आईएमटी मानेसर, बिनौला, खेडकीदौला, नाहरपुर रुपा आदि में स्थित हैं, जिनमें लाखों की संख्या में श्रमिक कार्यरत हैं। इन श्रमिकों में अप्रवासी श्रमिकों की संख्या भी कम नहीं है। यदि देखा जाए तो यह संख्या लाखों को पार कर जाती है। गुडग़ांव के औद्योगिक क्षेत्रों में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। प्रदेश सरकार ने उद्योगों की दशा सुधारने के लिए भी समय-समय पर आदेश जारी किए हैं, लेकिन इनका विशेष असर दिखाई नहीं दे रहा है। सरकार ने श्रम कानूनों में आवश्यक संशोधन किए हैं, जिनको श्रमिक संगठन श्रमिक विरोधी बताकर पूरे साल इनका विरोध करते रहे। पूरे वर्ष श्रमिकों के सामूहिक मांग पत्र, वेतन समझौता, श्रमिकों के निलंबन व कंपनियों में तालाबंदी को लेकर यह साल सुर्खियों में रहा। हालांकि कुछ प्रतिष्ठानों में सम्मानजनक समझौते भी हुए हैं। नपीनो ऑटो, हेमा इंजीनियरिंग, मुंजाल शोवा सहित कई प्रतिष्ठानों के श्रमिक मिनी सचिवालय पर धरना प्रदर्शन करते रहे और उन्हें न्याय के लिए उच्च न्यायालय में भी गुहार लगानी पड़ी। हालांकि उनके मामले अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित हैैं। श्रम विभाग भी श्रमिकों की समस्याओं को सुलझाने में पूरी तरह से असफल रहा है, जिससे श्रमिकों में रोष व्याप्त होता जा रहा है। प्रदेश सरकार ने श्रमिकों व असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों के कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी शिविर लगाकर श्रमिकों को दी, लेकिन इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए श्रमिकों को कई औपचारिकताओं को पूरा करना होता है जो श्रमिक नहीं कर पाते। इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ श्रमिकों को बहुत कम मिल पा रहा है। उधर श्रमिक संगठनों एटक के जिलाध्यक्ष कामरेड सुरेश गौड़, महासचिव कामरेड अनिल पंवार, मुरली कुमार, सीटू के सतबीर सिंह, एसएल प्रजापति, भवन कामगार यूनियन, रेहड़ी पटरी यूनियन के राजेंद्र सरोहा ने भी प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन पर पूरे साल आरोप लगाते रहे कि श्रमिकों व छोटे दुकानदारों, मजदूरों का शोषण किसी न किसी रुप में किया जा रहा है। सरकार प्रबंधन पर नियंत्रण नहीं लगा पा रही है, जिससे औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक अशांति फैलने का भय व्याप्त हो रहा है। सरकार द्वारा संशोधित 4 लेबर कोड लागू किए गए हैं, जिसका सभी श्रमिक संगठन विरोध कर रहे हैं और उन्होंने चरणबद्ध आंदोलन की तैयारियां भी शुरु कर ली हैं।