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अलविदा वर्ष 2020स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी जिलेवासियों को वर्ष 2020 नहीं रहा कोई ज्यादा अच्छासरकार ने घोषणाएं तो बहुत की, लेकिन नहीं हो सकी लागूमरीजों को रैफर करने की परंपरा का बनी रही पूरे सालअस्पताल मरम्मत प्रकरण में नहीं हो सकी विजिलेंस की जांच आज तक भी पूरीकोरोना महामारी में स्वास्थ्य विभाग ने किया अदम्य साह का प्रदर्शन

गुरूग्राम, प्रदेश सरकार ने प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य
सेवाएं देने के लिए कई योजनाएं शुरु की हुई हैं, जिनमें प्रधानमंत्री की
महत्वकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र लोगों को गोल्डन कार्ड भी
दिए गए हैं, ताकि वे इस कार्ड से चिन्हित निजी अस्पतालों में भी अपना
उपचार करा सकें। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर वर्ष 2020  जिलेवासियों के लिए
कोई ज्यादा अच्छा नहीं रहा। क्योंकि शहर के सिविल अस्पताल को सैक्टर 10
स्थित नागरिक अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग का कहना है
कि पुराना सिविल अस्पताल जर्जरावस्था में हो चुका है, इसको तोडक़र नया
बनाना है। इसीलिए इस पूरे अस्पताल को खाली करना पड़ा। जो स्वास्थ्य
सेवाएं सिविल अस्पताल में एक छत के नीचे लोगों को मिलती थी, वे अब शहर के
विभिन्न स्थानों पर बिखर कर रह गई। यानि कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के
लिए कहीं सैक्टर 10 तो कहीं सैक्टर 31 व विभिन्न प्राइमरी हैल्थ सेंटरों
पर धक्के खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस सब का लाभ निजी अस्पताल
उठा रहे हैं। हालांकि गुडग़ांव की ख्याति के अनुरुप स्वास्थ्य सेवाएं
बेहतर करने की घोषणा प्रदेश की विधानसभा में भी हो चुकी है, लेकिन उस पर
काम अभी तक भी शुरु नहीं हुआ है। करीब 30 लाख जनसंख्या वाले गुडग़ांव शहर
को सैक्टर 10 स्थित सरकारी अस्पताल में मात्र 200 बेड का ही अस्पताल
सेवाएं दे रहा है और वहां पर भी सुविधाओं का अभाव है। मरीज को दिल्ली के
सफदरजंग या फिर रोहतक के पीजीआई में रैफर करने की परंपरा इस वर्ष भी
सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की बनी रही। सिविल अस्पताल पहले से ही
चर्चा में रहा है। जर्जर अस्पताल की इमारत की मरम्मत पर करोड़ों रुपया
पिछले कई वर्षों में खर्च किया जा चुका था, लेकिन फिर भी इमारत जर्जर ही
रही। इस पूरे मामले की विजिलेंस जांच कराने के आदेश प्रदेश के स्वास्थ्य
महानिदेशक ने दिए थे, लेकिन आज तक भी जांच कार्य पूरा नहीं हो सका है।
वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार ने पब्लिक प्राईवेट पार्टनशिप के तहत सैक्टर
10 स्थित सिविल अस्पताल में हार्ट सेंटर व डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध
कराई, लेकिन इन दोनों सुविधाओं का प्रचार-प्रसार विस्तृत रुप से नहीं
किया गया, जिससे लोगों को सरकार की इन सुविधाओं का लाभ भी पर्याप्त रुप
से नहीं मिल पा रहा है। ब्लड बैंक भी सैक्टर 10 अस्पताल में शिफ्ट कर
दिया गया है। टीवी सेंटर को भी सैक्टर 10 में शिफ्ट किए जाने की पूरी
तैयारियां हो गई है। कोरोना महामारी का सामना भी गुडग़ांव जिले को अब तक
करना पड़ रहा है। जिले में कोरोना के सर्वाधिक मरीज मिले हैं। हालांकि अब
दिसम्बर माह में कोरोना पीडि़त कम ही संख्या में आ रहे हैं और इस सबका
श्रेय जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा. वीरेंद्र यादव की कार्यशैली को ही
जाता है। उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ कोरोना की जंग जीतने में जिला
प्रशासन के सहयोग से अदम्य साहस दि0खाया।

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